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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर के गौरव दिवस पर स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम योद्धा अमर शहीद कुंवर चैन सिंह की समाधि पर नमन कर पुष्प-चक्र अर्पित किया। जिले के प्रभारी और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, विदिशा सांसद रमाकांत भार्गव, विधायक सर्वश्री सुदेश राय, रामपाल सिंह और रघुनाथ मालवीय और नगरपालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर भी उपस्थित रहे। नरसिंहगढ़ के कुंवर चैन सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपने 41 सैनिकों के साथ शहादत को स्वीकार किया। इतिहास गवाह है कि नरसिंहगढ़ के युवराज चैन सिंह को वर्ष 1824 में अंग्रेज जनरल द्वारा सीहोर बुलाया गया और अंग्रेजों से संधि करने के लिए विवश किया गया। उन को बंदी बनाने की कोशिश की गई। तब स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले प्रथम योद्धा कुंवर चैन सिंह ने अंग्रेजों का मुकाबला करना उचित समझा और अपने 41 सैनिकों के साथ अंग्रेजों का वीरता से सामना किया। उनके हमसफर सुरक्षा सैनिक बहादुर खाँ और हिम्मत खाँ सहित 41 सैनिकों ने अदभुत लड़ाई लड़ी और वीरगति को प्राप्त हुए।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि देश के साथ प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले सीहोर जिले में सन 1824 में आजादी की एक मशाल जल उठी थी। इस मशाल का ज्वालामुखी रूप सन 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में पहचाना जाता है। कुंवर चैन सिंह ने अतुलनीय साहस का परिचय देते हुए अपने 41 सैनिकों के साथ आजादी के लिए हजारों अंग्रेजों से लड़ते हुए स्वयं को शहीद कर दिया। उनकी समाधि सीहोर में बनी हुई है। साथ ही उनके विश्वस्त अंगरक्षक शहीद जनाब हिम्मत खाँ और बहादुर खाँ की समाधि भी यही स्थित है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पूरा प्रदेश अपने आप को आज इन अमर शहीदों को नमन कर गर्वित महसूस कर रहा है। स्वतंत्रता के प्रथम योद्धा और वीर सपूत कुंवर चैन सिंह ने स्वतंत्रता की अलख जला कर देश में आजादी का नया सूरज लाने की पहल की थी। आज सीहोर के गौरव दिवस पर कुंवर चैन सिंह की छतरी पर आने से गर्व अनुभव हो रहा है। पूरा देश इन शहीदों का सदैव ऋणी रहेगा।
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