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उज्जैन। मध्य प्रदेश की धर्मनगरी उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के आंगन से देश में होली पर्व का आगाज हुआ। रविवार तड़के चार बजे भस्म आरती में भगवान महाकाल के साथ फूलों की होली खेली गई। रविवार शाम को संध्या कालीन आरती (शाम 6.30 बजे) के बाद मंदिर प्रांगण में होलिका दहन होगा।
परम्परा के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अवसर पर रविवार तड़के भस्म आरती की गई। इस दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे-पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। इसके पश्चात भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से कर पूजन अर्चन किया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को चांदी का मुकुट और रुद्राक्ष व कमल के पुष्पों की माला धारण करवाई गई।
इस श्रृंगार की विशेष बात यह रही कि आज चतुर्दशी की भस्मआरती में भगवान महाकाल का नवीन मुकुट पहनाकर त्रिपुंड के साथ मस्तक पर सर्प लगाकर मखाने की माला और पगड़ी पहनकर राजसी श्रृंगार किया गया। इसके बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई और गुजिया का भोग भी लगाया गया।
भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने भगवान महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महानिर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया। इससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।
चांदी का छत्र दान दिया
महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी इंद्रनारायण शर्मा की प्रेरणा से रविवार को राजस्थान के जयपुर के कपिल सोनी द्वारा 400 ग्राम चांदी का छत्र भगवान श्री महाकालेश्वर को अर्पित किया गया। इसे गर्भगृह निरीक्षक कमल जोशी द्वारा प्राप्त कर दानदाता का सम्मान कर विधिवत रसीद प्रदान की गई। छत्तीसगढ़ के रायपुर से दर्शन करने पहुंची नीलम शर्मा ने पुजारी विकास शर्मा की प्रेरणा से एक नग चांदी का छत्र, एक नग मुकुट और एक नग नाग भगवान महाकालेश्वर को अर्पित किया, जिसका कुल वजन लगभग 886 ग्राम है। इसे मंदिर प्रबंध समिति द्वारा प्राप्त कर विधिवत रसीद प्रदान की गई।
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