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नई दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित कर दिया। मंगलवार को विधेयक पर विचार हेतु चर्चा आरंभ हुई थी जो आज भी जारी रही। चर्चा का उत्तर देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विधेयक सालों से अधिकारों से वंचित विस्थापितों और सम्मान के लिए लड़ रहे वर्ग को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने के लिए लाया गया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के चलते जम्मू-कश्मीर में 45 हजार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस अनुच्छेद को नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2019 में उखाड़ फेंका है।
गृहमंत्री ने कहा कि वर्तमान विधेयकों का उद्देश्य सकारात्मक है और वह सभी से सर्वसम्मति से इसे पारित करने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के दौर में राज्य से 46 हजार 631 परिवार विस्थापित हुए थे। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों के दौरान 41 हजार 844 परिवार विस्थापित हुए थे। विधेयक का उद्देश्य इन लोगों को सम्मान के साथ उनका अधिकार देना है।
गृहमंत्री ने इस दौरान 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आए बदलावों का विस्तृत ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद ही अलगाववाद के मूल में था, जिसे हटा देने से अलगाव की भावना अब धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसी के चलते अब घाटी में आतंकवादी घटनाओं में 70 प्रतिशत, नागरिकों की मौत में 72 प्रतिशत और सशस्त्र बलों की मौत में 59 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा पथराव और संगठित हड़ताल भी अब नगण्य हो गई हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि राज्य में हुए न्यायिक परिसीमन के बाद अब वहां पर 9 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। जम्मू में अब 37 की जगह 43 और कश्मीर में 46 की जगह 47 सीटें विधानसभा की होंगी। पाक अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटें रिजर्व की गई हैं। कुल सीटों को 107 से बढ़कर 114 किया गया है। विस्थापितों के लिए दो और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों के लिए सीट नामित होगी।
गृहमंत्री ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के दो निर्णयों को उनकी ऐतिहासिक गलती बताई और इनके लिए उन्होंने अंग्रेजी के बलंडर शब्द का प्रयोग किया। इस शब्द पर विपक्ष ने अपनी आपत्ति जताई और कुछ सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। गृहमंत्री ने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री नेहरू ने इन्हें अपनी गलती कहते हुए स्वीकार किया है। गृहमंत्री ने कहा कि भारत की ओर से 1947 की लड़ाई के दौरान संघर्ष विराम की घोषणा समय से पहले थी। ऐसा नहीं किया गया होता तो पाक अधिकृत कश्मीर इस समय भारत में होता। साथ ही नेहरू जी को इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र नहीं लेकर जाना चाहिए था। अगर जाना चाहिए था भी तो चार्टर 35 की जगह 51 के तहत जाना चाहिए था।
जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। अधिनियम अनुसूचित जाति जातियां, अनुसूचित जनजातियां और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। 2019 अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर विधान सभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया था। इसमें अनुसूचित जाति के लिए छह सीटें आरक्षित की गईं थी। अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। वर्तमान विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई है। यह अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित करता है।
विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए। विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं।
Kolar News
6 December 2023
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