Advertisement
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भारत मंडपम में नौंवे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ‘स्वदेशी’ के उपयोग से नई क्रांति का गवाह बन रहा है। उन्होंने कहा कि आज का भारत सिर्फ 'वोकल फ़ॉर लोकल' तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसे ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म भी प्रदान कर रहा है!
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष’ का ई-पोर्टल भी लॉन्च किया। समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहे हैं, जिसका हाल ही में उद्घाटन किया गया था। प्राचीन से आधुनिक का यह संगम आज के भारत को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा कि भारत के जीवंत हथकरघा देश की विविधता के उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वदेशी आंदोलन आज ही के दिन 1905 में शुरू हुआ था। यह एक बड़ा कारण था कि हमारी सरकार ने आज के दिन को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि 2015 में पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया था।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर देशवासियों से आगामी त्योहारों में स्वदेशी उत्पादों की खरीद को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में रक्षाबंधन का पर्व आने वाला हैं, गणेश उत्सव आ रहा है, दशहरा, दीपावली, दुर्गापूजा इन पर्वों पर हमें अपने स्वदेशी के संकल्प को दोहराना ही है।”
प्रधानमंत्री ने एक बार फिर भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टीकरण को देश से बाहर खदेड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “देश कह रहा है भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, वंशवाद भारत छोड़ो, तुष्टीकरण भारत छोड़ो।”
उन्होंने कहा, “9 अगस्त को महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था। बापू ने अंग्रेजों को साफ-साफ कह दिया था कि भारत छोड़ो और अंग्रेजों को इंडिया छोड़ना ही पड़ा था। जो मंत्र अंग्रेजों को खदेड़ सकता था वह मंत्र हमारे यहां भी ऐसे तत्वों को खदेड़ने का कारण बन सकता है।”
प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर खादी की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि जो वस्त्र उद्योग पिछली शताब्दियों में इतना ताकतवर था, उसे आजादी के बाद फिर से सशक्त करने पर उतना जोर नहीं दिया गया। हालात ये थी कि खादी को मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था। लोग खादी पहनने वालों को हीन भावना से देखने लगे थे। 2014 से हमारी सरकार इस स्थिति और सोच को बदलने में जुटी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के बुनकरों और देश के हथकरघा क्षेत्र के लिए पिछले वर्षों में अभूतपूर्व काम किया गया है। बुनकरों को रियायती दरों पर नए डिजाइन, धागे बनाने के लिए आधुनिक तकनीक प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी के प्रयोग से भारत नई क्रांति देख रहा है। स्वदेशी को लेकर देश में नई क्रांति आई है। उन्होंने कहा कि सरकार हथकरघा वस्तुओं के विपणन से संबंधित समस्याओं के समाधान पर जोर दे रही है।
उन्होंने कहा कि देश में खादी कपड़ों की मांग बढ़ती जा रही है। पिछले नौ सालों में हथकरघा व्यवसाय का कारोबार लगभग 30,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,30,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों-हाथ खरीद रहे हैं, ये एक जनआंदोलन बन गया है। उन्होंने कहा कि आज का भारत सिर्फ 'वोकल फ़ॉर लोकल' तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म भी प्रदान कर रहा है! उन्होंने कहा कि आज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत हर जिले में वहां के खास उत्पादों को प्रमोट किया जा रहा है। देश के रेलवे स्टेशनों पर भी ऐसे उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष स्टॉल बनाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तरह पूरे देश में एकता मॉल स्थापित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हम नव-मध्यम वर्ग का उदय देख रहे हैं, जो कपड़ा कंपनियों के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।
Kolar News
7 August 2023
All Rights Reserved ©2024 Kolar News.
Created By: Medha Innovation & Development
|