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मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में दोनों पार्टियों को भितरघात सता रहा है। सत्ताधारी बीजेपी का डैमेज कंट्रोल करने के लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को बागियों से बात करनी पड़ रही है। पार्टी को डर है की टिकट कटने से नाराज नेताओं ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, लेकिन अंदर ही अंदर वे प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं। यह डर बीजेपी को जमकर सता रहा है। अब बीजेपी संगठन रोज रिपोर्ट ले रहा है कि कौन बागी , अधिकृत प्रत्याशी के साथ प्रचार में है और कौन घर पर बैठा है। बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ जो बागी मैदान में हैं उनको लेकर तमाम तरह की धमकियां भी पार्टी की तरफ से मिल रही हैं, लेकिन डैमेज कंट्रोल करने के लिए बीजेपी संगठन ने जिला अध्यक्ष को जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी की तरफ से संगठन के 57 जिलों में जिला अध्यक्षों से कहा गया है कि वह हर हाल में बागियों से निपटें। हालांकि, अभी तक बीजेपी ने बागियों पर निष्कासन की कार्रवाई नहीं की है मौखिक जरूर कह दिया गया है, लेकिन पार्टी के मुताबिक अब जल्दी ऐसे बागियों पर निष्कासन की कार्रवाई होगी। उधर, कांग्रेस में भी बागियों को लेकर चिंता है। यहां बागियों से निपटने की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी को दी गई है। नाराज कांग्रेस नेताओं और पूर्व पार्षदों ने कांग्रेस दफ्तर जाकर सामूहिक इस्तीफा दिया है। जहां दिग्विजय सिंह बागियों को समझाइश दे रहे हैं, तो वहीं सुरेश पचौरी भी बागियों से बात कर उन्हें शांत करने में जुटे हुए हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव गैर राजनीतिक आधार पर हुए, लेकिन अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही समर्थित प्रत्याशियों की जीत का दावा कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक भोपाल जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस समर्थकों का दबदबा रहा है। 10 सदस्यों के लिए हुए चुनाव में 7 पर कांग्रेस समर्थक उम्मीदवार जीते, वहीं दो वार्डों में भाजपा समर्थक जीता और 1 वार्ड में दोनों ही अपना कब्जा बता रहे हैं। लेकिन, ग्राम पंचायतों में बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों का दबदबा देखने को मिला।
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