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शिवपुरी के कलेक्टर-सीएमएचओ और उमरिया कलेक्टर से मध्य प्रदेश में मानव अधिकार आयोग ने जवाब मांगे हैं। ये कार्रवाई मानवाधिकार हनन से जुड़े दो मामलों को लेकर की गई है। पहला मामला शिवपुरी जिले का है। यहां के कोलारस अनुविभाग के बेरखेड़ी गांव में बीते माह समय पर 108 एम्बुलेंस न पहुंचने के कारण एक प्रसूता की मौत हो गई थी। मामले में बताया गया कि बेरखेड़ी गांव के बलवंत आदिवासी की पत्नी सोमवती गर्भवती थी। उसको सुबह ही प्रसव पीड़ा होने लगी तो बलवंत ने एम्बुलेंस के लिए कई बार कॉल किए, लेकिन एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची। इसके बाद बलवंत ने डायल 100 को भी कॉल किया, लेकिन वह भी गांव में नहीं आई। दोनों प्रकार की तत्पर सहायता न मिलने के चलते प्रसूता की गांव में ही तड़प-तड़पकर दर्दनाक मौत हो गई। मामले में सीएमएचओ, शिवपुरी का कहना है कि मृतिका के पति द्वारा 108 एम्बुलेंस को फोन पर सूचना दी गई थी, लेकिन एम्बुलेंस बेरखेडी की जगह किसी दूसरे गांव बरखेड़ी पहुंच गई थी। संबंधित 108 एम्बुलेंस के चालक को नोटिस जारी कर दिया गया है। आयोग ने कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शिवपुरी से एक माह में जवाब तलब कर पूछा है कि ऐसा क्यों और कैसे हुआ।
दूसरा मामला उमरिया जिले का है। उमरिया में चोरी के शक में युवक को बांधकर तब तक पीटा गया, जब तक कि वो मर नहीं गया। मानपुर थाना क्षेत्र के दुलहरा गांव में चोरी के शक मात्र में एक युवक को आरोपियों ने बांधकर बेरहमी से पीटा और जान ले ली। यही नहीं, आरोपियों ने युवक को सजा देने के मामले में क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। मारपीट के साथ ही उस युवक की एक आंख फोड़ दी, उसका एक हाथ भी तोड़ दिया और इसके बाद युवक की जुबान काटकर फेंक दी। जानकारी के अनुसार लक्ष्मी कुशवाहा नाम के युवक को चोरी की सच्चाई का पता लगाने के लिए आरोपियों ने इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपियों पर हत्या का मामला दर्जकर करीब एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, उमरिया से एक माह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।
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