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एक विधवा महिला को कई सरकारी कर्मचारियों ने 16 साल तक परेशान किया। कलेक्टर इलैया राजा टी को पता चला तो उन्होंने शिकायत तो दूर कर दी परंतु उसे 16 साल तक परेशान करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। महिला से क्षमा मांगने के बजाय उस पर एहसान जताया जा रहा है। कलेक्टर का प्रचार करवाया जा रहा है। गोहलपुर निवासी उर्मिला कोष्टा के मुताबिक उसके पति मन्नू लाल कोष्टा जेल में विचाराधीन कैदी थे। इलाज के दौरान 21 फरवरी 2006 में उनकी मौत हो गई थी । लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला। पिछले 16 साल से एक विधवा महिला को उसके पति के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परेशान किया जा रहा था। यह एक अमानवीय अपराध है। कलेक्टर इलैयाराजा टी को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने जेल अधीक्षक से लिखित में जानकारी मांगी। जेल अधीक्षक ने पुष्टि करते हुए बताया कि मन्नू लाल कोष्टा आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर 13 दिसंबर 2005 को जेल भेजा गया था। मन्नू की तबीयत बिगड़ी, जिसे मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
इस प्रकार कलेक्टर की जांच में अपराध प्रमाणित हुआ। सरकारी अस्पताल में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद भी 16 साल तक उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। एक विधवा महिला को परेशान किया गया। इस अपराध के बदले कलेक्टर ने पूरे सरकारी तंत्र में किसी को नामजद नहीं किया। वाहवाही लूटने के लिए विधवा का उपयोग किया जा रहा है। जबलपुर के तमाम अखबारों में इस शर्मसार करने वाले मामले को बिल्कुल उल्टे तरीके से पेश किया गया है। बताया जा रहा है कि कलेक्टर इलैया राजा टी ने 16 साल से भटक रही विधवा महिला की मदद कर दी। उसके कष्ट दूर कर दिए। वह कलेक्टर को धन्यवाद दे रही है। जबकि इस मामले में कलेक्टर को जिला प्रशासन का मुखिया होने के नाते सार्वजनिक रूप से महिला से माफी मांगनी चाहिए। उन तमाम लोगों को नामजद करना चाहिए जिन्होंने 16 साल से विधवा महिला को परेशान किया। कलेक्टर ने जो किया वह उनकी जिम्मेदारी थी। बिना भेदभाव के आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना। प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखना। कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखना ही कलेक्टर की जिम्मेदारी है। और कोई भी व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाकर एहसान नहीं करता।
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