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मध्य प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में अभी भी किडनी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हुआ है। और ऐसा केवल अफसरों के इंट्रेस्ट न लेने के कारन हो रहा है। आपको बता दें की जोधपुर एम्स हॉस्पिटल भी भोपाल एम्स के साथ ही बना हुआ है। लेकिन जोधपुर में किडनी ट्रांसप्लांट 3 साल पहले ही शुरू हो चुका हैं। और भोपाल में भी 6 महीने पहले ही किडनी ट्रांसप्लांट टीम और ऑपरेशन थिएटर का सिलेक्शन हो चुका है। यही नहीं नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की मंजूरी और एथिकल कमेटी भी सहमति भी मिल गई थी। लेकिन फिर भी किडनी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं किया गया। ऐसे में मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है।
इस चीज़ से उन लोगों को ज़्यादा समस्या है जो लोग प्राइवेट अस्पतालों में किडनी के इलाज का पैसा वहां नहीं कर पाते। प्राइवेट अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट का खर्चा लगभग 8 से 10 लाख है। ऐसे में गरीब व्यक्ति तो प्राइवेट अस्पतालों में इलाज का सोच भी नहीं सकता। सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान योजना से फ्री किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल जाती है।आयुष्मान योजना से इलाज के लिए पांच लाख तक का पैकेज फिक्स किया गया है। उससे लोगों को काफी सुविधा मिल जाती है। फिलहाल सरकारी अस्पतालों में से हमीदिया में यह सुविधा मिल रही है उन्होंने ने भी यह सुविधा पिछले वर्ष चालु की थी।एम्स भोपाल के डायरेक्टर का कहना है कि हमारी तैयारियां चल रहीं हैं। स्टाफ का सिलेक्शन हो चुका है ओटी भी तैयार है कुछ परमिशन आनी बाकी हैं। जल्द ही एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करेंगे।
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