एर्नाकुलम । केरल उच्च न्यायालय ने योग गुरु रामदेव, पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ दर्ज सात आपराधिक मामलों में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत दर्ज इन शिकायतों में भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के प्रसार का आरोप लगाया गया है।
केरल उच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक मामलों में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। ये मामले औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत दर्ज किए गए थे, जिनमें भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के प्रचार का आरोप लगाया गया था।
न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने आरोपितों द्वारा प्रस्तुत सात आपराधिक विविध याचिकाओं पर विचार करते हुए अंतरिम रोक जारी की। अदालत ने कहा कि यह मामला जटिल कानूनी प्रश्न उठाता है, जिनकी विस्तृत न्यायिक जांच की आवश्यकता है। अदालत ने इन जटिलताओं के मद्देनजर, लोक अभियोजक को कार्यवाही में आगे कोई भी कदम उठाने से पहले आवश्यक निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है।
इससे पहले फरवरी, 2025 में पलक्कड़ जिले के न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वितीय ने पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापकों बाबा रामदेव और बालकृष्ण को चमत्कारी लाभों के भ्रामक दावों के जरिए दवा विज्ञापन कानूनों के उल्लंघन के एक मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया था। यह वारंट तब जारी किया गया, जब वे उसी दिन अदालत में पेश नहीं हुए, जबकि अदालत ने उन्हें पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किया था।
दरअसल, केरल के औषधि निरीक्षक द्वारा दायर इस मामले में दिव्य फार्मेसी पर पतंजलि उत्पादों द्वारा उच्च रक्तचाप और मधुमेह के इलाज के झूठे दावों को बढ़ावा देने और औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है
यह अधिनियम भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को भ्रामक दावों से बचाना है, खासकर स्वास्थ्य और कल्याण विज्ञापनों में।