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सायबर क्राइम के प्रति बच्चों को करें जागरूक
सुदीप गोयनक

बाल आयोग की कार्यशाला में बोले सायबर क्राइम एआईजी सुदीप गोयनका

वाट्सएप, फेसबुक या ईमेल के जरिए बच्चे किसी न किसी रूप में सायबर बुलिंग (धमकाना या भद्दे कमेंट) के शिकार हो जाते हैं। साथ ही सायबर स्टॉकिंग में भी फंस जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि कोई अनजान व्यक्ति बार-बार आपका प्रोफाइल चेक करता है और बार-बार फे्रंड रिक्वेस्ट भेजता है तो इसे सायबर स्टॉकिंग कहते हैं। जब तक आप सामने वाले को पूरी तरह से न जान जाएं, तब उसकी रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें।

यह बात सायबर क्राइम एआईजी सुदीप गोयनका ने शुक्रवार को समन्वय भवन में मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने बताया कि स्कूलों में प्राचार्यों और संचालकों को बच्चों को सायबर क्राइम के प्रति जागरूक करना होगा। साथ ही स्कूलों के पाठ्यक्रम में सायबर क्राइम को शामिल करना चाहिए। भले ही इसकी परीक्षा न ली जाए, लेकिन 5वीं से 12वीं तक सायबर क्राइम को शामिल करना जरूरी है। उन्होंने वाट्सएप व फेसबुक के माध्यम से बच्चों द्वारा जाने-अनजाने में किए गए अपराधों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगर बच्चे से फेसबुक, वाट्सएप या ईमेल पर कोई गलती हो जाती है तो उसके बारे में अभिभावक, टीचर या पुलिस को जरूर बताएं। कार्यक्रम में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीआर) के तकनीकी सलाहकार रजनीकांत, मप्र बाल आयोग के अध्यक्ष राघवेंद्र शर्मा, सदस्य आशीष कपूर, जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र शर्मा, राज्य शिक्षा केंद्र के रामाकांत तिवारी विशेष रूप से उपस्थित थे।

एआईजी गोयनका ने कहा कि 13 वर्ष की उम्र से बच्चा अपना फेसबुक प्रोफाइल और 18 वर्ष के बाद ईमेल आईडी बना सकता है। उन्होंने डिजिटल फुटप्रिंट को मैनेज करने के लिए विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने की सलाह भी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि हर खाते का पासवर्ड वैसे ही अलग रखना चाहिए, जैसे हर कमरे का एक ताला और एक चाबी होता है। वहीं, राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि आज समाज में संवेदना की कमी के कारण लैंगिक अपराध बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के मौलिक अपराधों का हनन आपराधिक श्रेणी में आता है।

एनसीपीआर के तकनीकी सलाहकार रजनीकांत ने बताया कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अलग-अलग विभागों की अलग-अलग गाइडलाइन बनी हुई है। इसके लिए एनसीपीआर ने सभी को मिलाकर एक गाइडलाइन की बुक तैयार की है। इसमें सुझाव भी आमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में शिकायत पेटी लगाने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि स्कूल की संरचना, प्रबंधन, सेनीटेशन, यातायात सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनका मानना था कि 5वीं कक्षा के बाद ही बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा दी जानी चाहिए। बस्ते का बोझ कम करने के लिए साल भर के कोर्स की किताब को 3-3 महीने में बांटकर कोर्स की बुक बनानी होगी॥

सायबर क्राइम से बचने के उपाय

अलग-अलग खाते का पासवर्ड अलग रखें।  किसी अनजान की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। कभी भी मोबाइल में भी अपना ईमेल या फेसबुक लॉगइन न रखें, बल्कि लॉग आउट कर दें। मोबाइल को पैटर्न नंबर या थंब लॉक न कर, पिन नंबर से लॉक करें। वाईफाई घर या ऑफिस में लगाए हैं तो पासवर्ड प्रोटेक्शन रखें।अपना ओटीपी शेयर न करें।सोशल अकाउंट में अपनी फोटो सही जानकारी या फोन नंबर न डालें। स्टेटस अपडेट में समय और स्थान न लिखें। किसी अनजान से चैटिंग न करें। कम्प्यूटर व मोबाइल के प्रति एडिक्ट न हों।

 

Kolar News 29 September 2018

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