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भोपाल । सूर्य उपासना और आस्था के अद्भुत संगम का प्रतीक महापर्व छठ आज मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान का समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन होता है, जब व्रती महिलाएं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर अपना कठोर 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण करती हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस अवसर पर भक्तिमय वातावरण छाया रहा। शहर के सभी 52 घाटों समेत अन्य पूजा स्थलों पर तड़के से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था।
आज सुबह जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्य की पहली किरण दिखाई दी, वैसे ही व्रती महिलाओं ने दूध, जल और प्रसाद से अर्घ्य अर्पित किया। पूरे वातावरण में “छठी मइया के जयकारे” और लोकगीतों की मधुर गूंज फैल गई। महिलाओं के चेहरे पर भक्ति और संतोष की अनोखी आभा झलक रही थी। सूर्य देव और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना के साथ उन्होंने यह व्रत पूर्ण किया।
भोपाल के घाटों पर आस्था का सैलाब
भोपाल के पाँच नंबर तालाब, शीतलदास की बगिया, कमला पार्क, वर्धमान पार्क (सनसेट पॉइंट), खटलापुरा घाट, प्रेमपुरा घाट, हथाईखेड़ा डैम, बरखेड़ा और घोड़ा पछाड़ डैम जैसे प्रमुख घाटों पर आज सुबह अद्भुत दृश्य देखने को मिले। इन स्थानों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए थे। जल में खड़े होकर व्रती महिलाएं सिर पर टोकरी में फल, ठेकुआ, और पूजा सामग्री रखे अर्घ्य देती नजर आईं। सूर्योदय के क्षण में पूरा वातावरण लोकभक्ति, गीतों और ढोलक की थाप से गूंज रहा था।
नगर निगम और प्रशासन ने इस अवसर पर बेहतरीन व्यवस्थाएं की थीं। सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था, पेयजल और सफाई के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी सुबह से ही घाटों पर मौजूद थे ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अलग-अलग मार्गों पर बैरिकेडिंग और ट्रैफिक नियंत्रण की भी विशेष व्यवस्था रही।
जनप्रतिनिधियों ने भी की सूर्य उपासना
पाँच नंबर तालाब के छठ घाट पर इस बार विशेष उत्साह देखने को मिला। यहाँ केन्द्रीय मंत्री डीडी उइके, भोपाल विधायक भगवानदास सबनानी और मप्र जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा) मोहन नागर समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने पारंपरिक विधि-विधान से सूर्योपासना कर छठी मैया के दर्शन-पूजन का लाभ प्राप्त किया।
व्रत का पारण और प्रसाद का महत्व
अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाओं ने “पारण” की रस्म निभाई, जो इस पर्व का अंतिम और सबसे पवित्र चरण माना जाता है। पारण में व्रती सात्विक भोजन करती हैं, जिसमें चावल, दाल, साग, सब्जी, पापड़, बड़ी, पकौड़ी और चटनी शामिल होती है। यह भोजन न केवल व्रती बल्कि पूरे परिवार द्वारा प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
रातभर गूंजे छठ गीत और भजन
भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि रविवार की शाम जब अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया, उसके बाद श्रद्धालु पूरी रात छठी मैया के गीत और भजन गाते रहे। घाटों पर लोकगीतों की स्वर लहरियाँ देर रात तक गूंजती रहीं। कई स्थानों पर महिलाओं ने पारंपरिक नृत्य किया और बच्चों ने दीयों से घाटों को सजाया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भोपाल में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे, जिससे पूरा शहर छठ मैया की भक्ति में सराबोर हो गया।
चार दिनों का यह कठिन व्रत
छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी तक चलता है। पहले दिन “नहाय-खाय” में शुद्ध भोजन ग्रहण किया जाता है। दूसरे दिन “खरना” में गुड़ और चावल की खीर बनाकर पूजा की जाती है। तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है। यह व्रत महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी रखते हैं, और इसमें पूर्ण संयम, पवित्रता और आस्था का विशेष महत्व होता है।
भक्ति और उल्लास से नहाया भोपाल
पूरे भोपाल में पिछले चार दिनों से छठ पर्व का उत्साह चरम पर रहा। घाटों पर सजावट, दीयों की रोशनी, लोकगीतों की गूंज और श्रद्धालुओं की भीड़ ने राजधानी को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। विशेष रूप से रविवार की शाम जब अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया गया, तब तालाबों में तैरती दीयों की पंक्तियों ने ऐसा मनमोहक दृश्य बनाया कि मानो धरती पर दिव्यता उतर आई हो। आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ जब व्रत का समापन हुआ, तब श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति और आनंद का भाव झलक रहा था। पूरा वातावरण छठी मैया की महिमा और सूर्य उपासना की परंपरा से ओतप्रोत दिखाई दिया।
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