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जीतू पटवारी ने शुक्रवार काे मीडिया काे जारी अपने बयान में कहा कि राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट रूप से बताया कि किस तरह चुनावी प्रक्रिया में सुनियोजित तरीके से धांधली कर लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने अलोकतांत्रिक एवं पक्षपातपूर्ण रवैये का गंभीर आरोप लगाया है। यह सिर्फ़ कांग्रेस या विपक्ष का मुद्दा नहीं, बल्कि देश के हर उस नागरिक का मुद्दा है जो अपने वोट की ताकत और लोकतांत्रिक अधिकारों में विश्वास रखता है।”
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के तथ्यों और सबूतों से यह बात उजागर हुई है कि कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर एक लाख से अधिक फर्जी मतदाता जोड़े गए, जिनकी वजह से बीजेपी को जीत मिली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूरे प्रदेश में कांग्रेस से केवल 22,000 वोट अधिक मिले, जबकि एक सीट पर ही 1 लाख फर्जी वोट जोड़े जाने का खुलासा हुआ। महाराष्ट्र में केवल 5 महीने के भीतर एक करोड़ से अधिक मतदाता बढ़ा दिए गए, जो वयस्क आबादी से भी अधिक थे। मध्य प्रदेश में पोस्टल बैलेट में हारने के बावजूद ईवीएम से बीजेपी की जीत दर्ज हुई।
पीसीसी चीफ पटवारी ने कहा कि “इन खुलासों से साफ़ है कि संवैधानिक और चुनावी संस्थानों में बीजेपी का हस्तक्षेप गहरा है। बीजेपी को डर है कि अगर यह सच्चाई जनता के सामने आ गई तो उनकी पूरी कहानी बेनकाब हो जाएगी। यही वजह है कि बीजेपी के नेता मुद्दे पर जवाब देने की बजाय बेतुके बयान देकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके हालिया बयान इस बात का प्रमाण हैं कि सच ने उन्हें असहज कर दिया है।”
उन्होंने चुनाव आयोग पर भी गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि “चुनाव आयोग का काम लोकतंत्र की रक्षा करना था, लेकिन उसने खुद को सत्ताधारी दल का हथियार बना लिया है। विपक्ष के नेता द्वारा सबूतों के साथ धांधली उजागर करने के बावजूद आयोग जांच करने की बजाय वोटर लिस्ट तक उपलब्ध कराने से इंकार कर रहा है। यह रवैया लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”
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