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भोपाल । मध्य प्रदेश में लंबे समय से अटके ओबीसी को 27% आरक्षण देने के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। मुख्यमंत्री डाॅ. माेहन यादव ने रविवार को अपने बयान में कहा था कि कांग्रेस सरकार ने बिना किसी सर्वे और तैयारी के सिर्फ चार लाइन का कागज बनाकर आरक्षण देने का ऐलान कर दिया था। इसी वजह से ये मामला अब तक कोर्ट में फंसा हुआ है। मुख्यमंत्री के बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पलटवार किया है।
जीतू पटवारी ने साेमवार काे मीडिया से बातचीत में कहा कि ओबीसी के लोगों के साथ अन्याय और अत्याचार हो रहा हैं। विधानसभा में कानून बना, अध्यादेश विधानसभा से पारित हुआ, प्रशासनिक स्वीकृति हुई। उसको एप्लीकेबल करके राज्यपाल के पास भेजा। यही अधिकारी थे जिन्होंने वो भेजा था। उनको मुख्यमंत्री कहते हैं पर्ची पर चार लाइन लिख दी। ये भाषा है मुख्यमंत्री जी की? बिल पर बिल लाने की बात करना एक तरह से राजनीतिक अपरिपक्वता बताती है। पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की समझ देखिए जाे खुद पर्ची से आए है वाे कहते है एक पर्ची पर चार लाइन लिखने से काेई कानून बनता है क्या?
वहीं प्रदेश में 9 आईएएस अधिकारियों के तबादले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। इन तबादलों को लेकर प्रशासनिक अराजकता का आरोप लगाया और सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। पटवारी ने सवाल पूछते हुए कहा कि “ये तबादले क्यों होते हैं? खुद मुख्यमंत्री सचिवालय में, डेढ़ साल में चार प्रधान सचिव बदले जा चुके हैं। क्यों, क्या तर्क है? या तो वे सही लोगों का चयन नहीं कर पा रहे, या शायद मुख्यमंत्री की इच्छाएं पूरी नहीं हो रही हैं।” लगातार हो रहे आईएएस अधिकारियों के तबादले राज्य में प्रशासनिक अस्थिरता को दर्शाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था में अराजकता की स्थिति है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
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