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कहते हैं कि कलयुग में पवन पुत्र हनुमानजी की शरण में जो भी जाता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। व्यक्ति जो भी मनोकामना लेकर जाता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती ही है।ऐसी ही मान्यता बैतूल के टिकारी स्थित दक्षिण मुखी हनुमान सिद्ध पीठ मंदिर से जुड़ी है। कहा जाता है कि 200 साल पुराने इस मंदिर में आने वालों की मन्नत पूरी होती है। यहां शनिवार और मंगलवार को श्रद्धालु आकर संकट मोचन हनुमान जी के चरणों में अर्जी लगाते हैं। यह अर्जी भी खास तौर से भोज पत्र पर या पीपल के पत्ते पर लिखी जाती है। श्रद्धालु इन पत्रों पर समस्या लिख कर या श्री राम लिख चढ़ाते हैं।मन्नत पूरी होने पर भक्त शनिवार को महा आरती के साथ प्रसादी बांटते हैं। यही नहीं, मंदिर में लगे शमी के पेड़ को लेकर भी किवदंती है। बताया जाता है कि इसी पेड़ के नीचे कभी पांडवों ने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस बार 6 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा।बैतूल जिला मुख्यालय के टिकारी क्षेत्र में स्थित 200 साल पुराने दक्षिण मुखी हनुमान सिद्ध पीठ मंदिर में श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। यहां आम दिनों में भी श्रद्धालुओं की आवाजाही से परिसर गुलजार रहता है। वहीं, हनुमान जयंती पर बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं यहां दर्शन करने आते हैं। वजह है कि इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में कोई समस्या से पीड़ित है, तो कई लोग बीमारी से राहत पाने के लिए अर्जी लगाने पहुंचते हैं। किसी को घरेलू परेशानी से मुक्ति चाहिए।मंदिर में अर्जी लगाने का तरीका बाकी मंदिरों से थोड़ा अलग है। यहां जो भी श्रद्धालु मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, वे भोज पत्र या पीपल के पत्ते पर सिंदूर से लिख कर हनुमान जी के चरणों में चढ़ाते हैं। अर्जी लगाने की यह प्रक्रिया ही भगवान से भक्त को जोड़ने की ऐसी कड़ी है, जो उनकी मुराद पूरी करती है। चाहे वह मुराद बीमारी दूर करने की हो या कोर्ट में चल रहे केस में न्याय पाने की। हालांकि, मंदिर में यह परंपरा कब से शुरू हुई इसे लेकर कोई भी स्पष्ट नहीं बता पा रहा है। बताया जाता है कि भोज पत्र या पीपल के पत्ते पर अर्जी लिखने की परंपरा मंदिर की स्थापना के बाद शुरू हुई है।
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