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इंदौर के कनाड़िया में 28 हजार रुपए के नकली नोट के साथ पकड़ाए चार आरोपियों ने पूछताछ में गिरोह के मास्टरमाइंड का नाम बताया था। जिसकी तलाश में टीम पंजाब के लुधियाना गई थी। यहां से टीम बुधवार को खाली हाथ वापस आ गई। टीम ने लुधियाना में कई ठिकानों पर छापा मारा। लेकिन वह नहीं मिला।पुलिस को पंजाब पुलिस से जानकारी मिली है कि वह और भी कई राज्यों में नकली नोट को लेकर वारदात कर चुका है। गिरोह का सरगना इस तरह के नोट बनाने के बाद उन्हें दूसरे राज्यों में चलाने के लिए टीम के बाकी सदस्यों को भेजता है।टीआई जगदीश जामरे की टीम ने एक सप्ताह पहले संदीप सिंह पंजाबी, मनदीप सिंह, विकास शर्मा और राहुल लोधी को पकड़ा था। जिनके पास से करीब 28 हजार के नकली नोट मिले थे। आरोपियों से एक कार भी जब्त हुई थी। पकड़ाए आरोपियों ने लुधियाना के शम्मी प्रधान से नोट लेकर आने की बात कही थी।उन्होंने बताया था कि शम्मी ही नकली नोट बनाकर उन्हें सप्लाई करता है। इस पर टीआई ने एक टीम बनाकर पंजाब रवाना की। लुधियाना में शम्मी प्रधान के ठिकानों पर कार्रवाई की गई। लेकिन वह नहीं मिला।कनाड़िया पुलिस के मुताबिक पकड़ाए युवक मध्यप्रदेश के विदिशा और सागर के रहने वाले हैं। दोनों जिलों की पुलिस को उनके बारे में जानकारी दी गई है। वहीं लुधियाना पुलिस को भी शम्मी प्रधान के बारे में जानकारी दी गई है। इधर पूछताछ के बाद गिरफ्तार चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।शम्मी के बारे में पता चला है कि वह पहले भी दूसरे राज्यों में नकली नोट चला चुका है। पुलिस के मुताबिक उसके पकड़ाने के बाद बहुत सी जानकारी स्पष्ट होगी। शम्मी के बारे में पता चला है कि वह तीस प्रतिशत पर नकली नोटों का काम करता है। सौ रुपए के नोट के बदले उसे तीस रुपए चुकाने होते हैं। अधिकतर नकली नोट चलाने का काम वहां किया जाता था, जहां भीड़ वाले इलाके हो ताकि किसी को शंका नही हो।
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