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सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची से रेप और हत्या के आरोपी की सजा रद्द कर दी और रिहा करने के आदेश दे दिए। आरोपी ने करीब 5 साल पहले धार जिले के मनावर में वारदात को अंजाम दिया था। शीर्ष कोर्ट ने माना कि आरोपित ने बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या की थी, लेकिन तब वह नाबालिग था। किशोर न्याय अधिनियम के तहत उसे अधिकतम तीन वर्ष की सजा दी जा सकती है। वह पांच वर्ष से जेल में है। उसे रिहा किया जाना चाहिए।शनिवार को दिए 36 पेज के फैसले में कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए कि उसने आरोपित की उम्र की पुष्टि किए बिना ही आम आरोपी की तरह उसे पेश कर दिया। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, अपीलकर्ता की दोष सिद्धि को बरकरार रखा गया है। हालांकि, सजा को रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा वर्तमान में अपीलकर्ता की आयु 20 वर्ष से अधिक होगी, इसलिए उसे किशोर न्याय बोर्ड या किसी अन्य बाल देखभाल सुविधा या संस्थान में भेजने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। अपीलकर्ता न्यायिक हिरासत में है। उसे अविलंब रिहा किया जाए।वारदात 15 दिसंबर 2017 को हुई थी। पुलिस ने आरोपित को 19 वर्षीय युवक बताकर उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। 17 मई 2018 को सत्र न्यायालय ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को यथावत रखा था। आरोपित ने जिला और हाई कोर्ट के फैसले को एडवोकेट अमित दुबे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। आरोपित की तरफ से उसकी उम्र को लेकर सवाल उठाया गया।इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मनावर अपर सत्र न्यायालय को आरोपित की सही उम्र का पता लगाने को कहा था। घटना के वक्त आरोपित की सही उम्र 15 वर्ष 5 माह थी। पुलिस ने आरोपित की उम्र 19 वर्ष बताकर खुद को सही साबित करने का प्रयास किया था। उसने आरोपित के स्कूली दस्तावेज जब्त किए थे, लेकिन इन्हें कोर्ट में पेश ही नहीं किया गया था।एडवोकेट अमित दुबे ने बताया कि पीठ ने अपने फैसले में यह तो माना कि आरोपित ने ही वारदात की है, लेकिन यह भी कहा, घटना के वक्त वह नाबालिग था। उसे अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकती है, लेकिन वह पांच वर्ष से जेल में है। इसलिए उसे तुरंत रिहा करें।
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