केरवा ,कोलार और कलियासोत इलाके में मौसम बदलने के साथ ही तीन बाघ और एक बाघिन का मूवमेंट बढ़ गया है। इसलिए वन विभाग ने अब गश्ती दल को पटाखों के साथ मैदान में उतारा है। बाघ के दिखने पर यह पटाखे उसको भगाने में मददगार साबित होते हैं। यह बात गश्ती दल के मूवमेंट के बाद उजागर हुई है। बाघों के जंगल से बाहर निकलने की यह एक बड़ी उनके इलाकों में मानवीय बसाहट सामने आयी है। अब बाघ आबादी वाले क्षेत्रों के आसपास जानवरों का शिकार कर रहे हैं। 15 दिनों में दो दर्जन जानवरों का शिकार हो चुका है। बाघों के जंगल से बाहर पर लोगों में दहशत है। वन विभाग के डीएफओ भोपाल एसपी तिवारी का कहना है कि यह बात सच है कि जंगल की जमीन पर बसाहट बढ़ने से वहां पर मवेशियों का मूवमेंट बढ़ा है जिसने बाघों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
वन विभाग ने अब कलियासोत से लेकर केरवा और मेंडोरा के जंगलों का एरिया चिन्हित कर लिया है। जिस एरिया में बाघों का मूवमेंट बढ़ रहा है वहां पर पटाखों और अन्य संसाधनों से उनको वापस जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा जंगलों में जाने वालों पर पाबंदी लगायी गयी है।
बीती रात फिर बाघिन टी-123 रसूलिया के पास 4 घंटे तक घूमती रही। बाघिन वन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरों के एकदम पास से गुजरी, जिससे वह कैमरे में कैद नहीं हो पाई। सुबह वन विभाग की टीम को इसके साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में बाघिन ने शुक्रवार रात को भी शिकार किया था।
इधर, दो दिन बाद समसगढ़ में फिर बाघ पहुंचा है। सोमवार सुबह ग्रामीणों ने बाघ के पगमार्क देखे। क्षेत्र में लगातार बाघ एक ही लोकेशन से होकर गुजर रहा है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी है। वन विभाग भी मान रहा है कि इस क्षेत्र में युवा बाघ टी- 122 का मूवमेंट है। रविवार रात ही केरवा और संस्कार वैली स्कूल के बीच सड़क से सटे क्षेत्रों में तीसरे बाघ का मूवमेंट मिला है। बाघों के आबादी वाले क्षेत्रों के आसपास मूवमेंट से लोगों में दहशत हैं। पेट्रोलिंग टीम को भी रतजगा करना पड़ रहा है। तब जाकर बाघों की मॉनीटरिंग हो रही है। रविवार की रात समसगढ़ को छोड़कर केरवा और रसूलिया में वन विभाग की पेट्रोलिंग टीम ने बाघ को ट्रेस किया है।