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जबलपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपित पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजा पटेरिया की मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी गई है। सोमवार को न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने पटेरिया की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है।
कांग्रेस नेता राजा पटेरिया का पिछले साल एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह यह कहते हुए सुने गए कि संविधान को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए तत्पर रहना चाहिए। मामला 11 दिसंबर 2022 का है, जब पटेरिया पन्ना जिले के मंडलम में कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मोदी चुनाव खत्म कर देगा। मोदी धर्म, जाति, भाषा के आधार पर बांट देगा। दलितों का, आदिवासियों का और अल्पसंख्यकों का भावी जीवन खतरे में है। संविधान अगर बचाना है तो मोदी की हत्या करने के लिए तत्पर रहो। हत्या इन द सेंस... हराने के लिए तैयार रहो।
प्रधानमंत्री मोदी को लेकर की गई इस टिप्पणी के बाद पन्ना के पवई थाने में राजा पटेरिया के विरुद्ध केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने 13 दिसंबर को राजा पटेरिया को पुलिस गिरफ्तार किया था। तब से वे पन्ना जिले की पवई जेल में बंद थे। पवई कोर्ट और उसके बाद ग्वालियर जिले की विशेष (एमपी-एमएलए) कोर्ट से दो बार जमानत अर्जी निरस्त हुई। इसके बाद पटेरिया ने उच्च न्यायालय की ग्वालियर बेंच में जमानत अर्जी दायर की थी। वहां से यह याचिका उच्च न्यायालय की मुख्यपीठ जबलपुर स्थानांतरित कर दी गई थी।
पूर्व में उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में साफ किया था कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे देश के उच्च पदस्थ व्यक्तियों के लिए अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करना किसी भी जननेता को शोभा नहीं देता। राजनेताओं को सार्वजनिक भाषण देते समय अपनी भाषा के प्रति सावधान रहना चाहिए। यदि इस अपराध के लिए जमानत दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा। हालांकि आवेदक को 30 दिन बाद जमानत के लिए दोबारा अर्जी दायर करने स्वतंत्र है। इसी आधार पर नए सिरे से अर्जी दायर की गई थी।
सोमवार को मामले में सुनवाई के दौरान राजा पटेरिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी थी कि आवेदक के विरुद्ध जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें कोई तथ्य नहीं हैं। यह मामला राजनीति से प्रेरित है। पटेरिया ने जो वक्तव्य दिया था, उसी में मंतव्य भी स्पष्ट कर दिया था। उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। वहीं राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद ठाकरे ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि कई गवाहों ने बताया है कि पूर्व मंत्री पटेरिया ने जानबूझकर अल्पसंख्यकों को भड़काने के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पटेरिया की जमानत मंजूर कर ली।
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