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हलमा परम्परा को विस्तारित कर पर्यावरण संरक्षण का किया जाएगा कार्य: मुख्यमंत्री
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झाबुआ। वनवासी समाज की हलमा परंपरा अद्वितीय है। यह संकट में खड़े मनुष्य की सहायता का संदेश देती है। हलमा कि इस परंपरा को समूचे मध्य प्रदेश में विस्तारित करते हुए जल संरक्षण, मिट्टी संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण का कार्य किया जाएगा।

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिले के हाथीपावा में शिवगंगा संगठन द्वारा आयोजित हलमा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद बड़ी संख्या में श्रमदान करने आए आदिवासियों को संबोधित करते हुए यह बात कही। परमार्थ की समृद्ध कहीं जाने वाली परंपरा हलमा में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री भोपाल से रविवार सुबह यहां आए, वे अपने साथ गैती भी लेकर आए थे, जिसे हेलीकॉप्टर से उतरते ही उन्होंने अपने कंधे पर रखा और हलमा के लिए श्रमदान कर रहे आदिवासियों के बीच पहुंच गए। उनके इस तरह हलमा मैदान पर पहुंचने पर वहां उपस्थित हजारों लोगों ने हर्षोल्लास के साथ परम्परागत तरीके से उनका अभिनन्दन किया।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार, समाज के साथ मिलकर काम करेगी और मिट्टी तथा जल बचाने का जतन कर पर्यावरण को संरक्षित करेगी। कार्यक्रम में शिवगंगा अभियान के महेश शर्मा, सांसद गुमानसिंह डामोर, आदिवासी समुदाय के संत कालूराम महाराज, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्षसिंह चौहान, , पूर्व विधायक गण, पार्टी पदाधिकारी सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में हलमा में आए आदिवासी उपस्थित थे।

 

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सरकार और समाज मिलकर खड़े हो जाएँ तो समूचा परिदृश्य बदल सकता है। समाज के संकल्प को सरकार के संसाधन मिलेंगे तो हम एक नया परिदृश्य निर्मित कर सकते हैं। वनवासी समाज की हलमा परंपरा अद्वितीय है। यह संकट में खड़े मनुष्य की सहायता का संदेश देती है। आज वे यहाँ हलमा में आए सभी परमार्थियों का स्वागत और अभिनन्दन करने के लिए आए हैं। यह एक ऐसी परंपरा है जिससे हम प्रकृति को ग्लोबल वार्मिंग से बचा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि हाथीपावा की इस पहाड़ी से यह अलख गाँव-गाँव पहुँच रही है। उन्होंने वनवासी समाज से आग्रह किया कि वे इस महान परंपरा को सतत बनाए रखें। उन्होंने उपस्थित जनों को इस बात का संकल्प भी दिलाया कि वे इस परम्परा को जीवित रखेंगे।

 

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में पेसा एक्ट के संबंध मेंं भी विस्तार से अवगत कराते हुए कहा कि यह एक सामाजिक क्रांति का माध्यम हैै ओर वनवासी समाज को अधिकार संपन्न बनाने में पेसा एक्ट की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में विशेष तौर पर आदिवासी अंचल में धर्म परिवर्तन का कुचक्र नहीं चलने दिया जाएगा, ओर छल-कपट से आदिवासियों की ज़मीन छीनने की कोशिशों को सख़्ती से नकारा जाएगा। उन्होंने लाड़ली बहना योजना की भी विस्तार से जानकारी दी।

 

कार्यक्रम के आरंभ में सांसद गुमानसिंह डामोर ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपने साथ भोपाल से गैती लेकर यहाँ पहुँचे हैं। यह हमारी परंपरा का सम्मान है, क्योंकि हलमा में पहुँचने वाले सभी वनवासी बंधु भी इसी तरह गैती लेकर पहुँचते हैं।

 

कार्यक्रम में शिवगंगा अभियान के पद्मश्री महेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हलमा में शामिल होकर राजधर्म का परिचय दिया है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि पुराने समय में इस हलमा परंपरा से हज़ारों की संख्या में तालाब बनते थे। जिसमें राजा इसी तरह शामिल होकर श्रमदान किया करते थे।

विकास यात्रा के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ प्रदान किया और विभिन्न निर्माण कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने श्रमदान करते हुए जल संरक्षण के लिए बनाए जा रहे गड्ढे के लिए गैती चलायी, साथ ही पहाड़ी में पीपल के वृक्ष का रोपण भी किया। मुख्यमंत्री के झाबुआ पहुँचने पर हैलीपेड में सांसद जी एस डामोर सहित संभागायुक्त डॉक्टर पवन कुमार शर्मा, पुलिस महानिरीक्षक राकेश कुमार गुप्ता, डीआईजी चंद्रशेखर सोलंकी सहित जिला प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने उनकी अगवानी की।

Kolar News 26 February 2023

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