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प्रदेश में सालों से अटकी पेयजल, सिंचाई, स्वास्थ्य और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं के विवादों को अब सीएम शिवराज सिंह खुद सुलझाएंगे। इसके लिए राज्य योजना एवं नीति आयोग के माध्यम से प्रोजेक्ट प्रोग्रेस रिव्यू फ्रेमवर्क बनाया गया है। इसमें चार विभागों की 6 परियोजनाओं की हाई प्रायोरिटी पर मॉनिटरिंग शुरू की गई है। इन सभी प्रोजेक्ट के पूरे होने की मियाद बीत चुकी हैैं।सीएम की अध्यक्षता में इस फ्रेमवर्क के जरिए ठेकेदारों समेत विवाद के लिए जिम्मेदार विभागों और संस्थाओं से सीधे बातचीत शुरू की गई है। राज्य योजना आयोग में दो नोडल अफसर तैनात किए गए हैं, जिन्हें विवादों के कारण अटकने वाली योजनाओं को लेकर विभागों से लगातार अपडेट लेने का जिम्मा सौंपा है। हर महीने की 15 तारीख तक इन योजनाओं की प्रगति की जानकारी सीएम डैश बोर्ड पर अपडेट होगी।धार के 74 गांवों में पेयजल आपूर्ति से जुड़ी यह योजना 2023 तक पूरी होनी थी। पहले वन विभाग की मंजूरी देर से मिली, बाद में गुणवत्ता ठीक न होने से रेस्टोरेशन करना पड़ा। 50% काम हो सका है। सीएम ने अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है।2012 में शुरू। दमोह-सागर के बीच बेबस नदी की इस परियोजना में दो नहरों के जरिए 57 गांवों में सिंचाई होनी है। 2017 तक पूरी होनी थी। शुरू में वन विभाग की मंजूरी नहीं मिली। इसके बाद दमोह में डायमंड सीमेंट फैक्ट्री ने अपनी जमीन से पाइप लाइन बिछाने पर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया।सितंबर 2022 में सीएम ने भूमिपूजन किया पर निर्माण शुरू नहीं हो सका है। जिस जमीन पर निर्माण होना है, उसके कुछ हिस्से पर रेलवे ने आपत्ति लगा रखी है। इस कारण कुछ भवनों की ड्राइंग और डिजाइन में बदलाव करना पड़ेगा।15 किमी लंबी कोलार रोड को 6 लेन किया जाना है। 29 अक्टूबर को सीएम भूमिपूजन कर चुके हैं। कोलार पाइपलाइन शिफ्टिंग और सीवर लाइन प्रोजेक्ट के कारण काम पहले से ही काफी लेट हो चुका है। अतिक्रमण भी देरी की बड़ी वजह है।
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