मध्यप्रदेश में अब तक संघ और सरकार के बीच संगठन को मजबूती का काम करते रहे अरविंद मेनन की आखिर विदाई हो ही गई। प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री पद पर रहते हुए मेनन ने 2011 से अब तक कई महत्वपूर्ण दौर देखे और सरकार व संघ के बीच परस्पर समन्वय बनाकर खुद की काबिलियत साबित भी की। लेकिन पिछले दो सालों से मध्यप्रदेश बीजेपी में मेनन को लेकर मतभेद शुरू हो गए थे। बीजेपी का एक गुट मेनन को की कार्यप्रणाली की शिकायत लगातार हाईकमान से कर रहा था। नतीजतन मध्यप्रदेश से मेनन की विदाई तय हुई। मेनन की जगह अब सुहास भगत काम देखेंगे। मेनन की कार्यप्रणाली हमेशा विवादों में रही है लेकिन प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री को वे साध के चलते थे यही वजह रही कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नहीं चाहते थे कि मेनन को मध्यप्रदेश से दूर किया जाए, पर पार्टी आलाकमान मेनन को नई जिम्मेदारी देने का पहले से ही मन बना चुका था। अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं, पार्टी चाहती है कि मेनन यूपी में संगठन को मजबूत करें। शिवराज क्यों नहीं चाहते थे कि मेनन जाएं क्योंकि शिवराज को मेनन उस समय मिले थे, जब वे नए-नए मुख्यमंत्री बने थे और कमजोर थे।- हर ओर से उन्हें असफल साबित करने की कोशिशें हो रही थीं। एेसे में मेनन ने न केवल पार्टी के भीतर शिवराज के लिए मोर्चा संभाला, बल्कि संगठन के स्तर पर भी मजबूती बनाई।- मेनन संभागीय संगठन मंत्री के तौर पर जबलपुर, इंदौर रह चुके थे, ऐसे में उन्हें प्रदेश की नब्ज पता थी। - उसके बाद शिवराज और मेनन की जोड़ी ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के साथ मिलकर 2008 का विधानसभा चुनाव बड़े अंतर से जीता। - 2013 का चुनाव भी इसी तिकड़ी ने जीता। अब शिवराज की नजर 2018 के चुनाव पर है। ऐसे में वे मेनन को साथ रखना चाहते थे।मेनन के मनाने पर भी नहीं मानेभाजपा सूत्रों की मानें तो मेनन भी मप्र में डटे रहना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सुषमा स्वराज से लेकर भाजपा के कई बड़े नेताओं से मुलाकात भी की थी। यहां तक कहा जा रहा था कि मेनन को मप्र में बनाए रखने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान अपने वीटो पावर का भी उपयोग कर सकते हैं, पर ये सारे कयास सिर्फ कयास ही रह गए।अब कमान सुहास भगत को भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन को पार्टी आलाकमान ने पद से हटा दिया है। पार्टी सूत्रों की माने तो मेनन को दिल्ली में नई जिम्मेदारी दी जाएगी। उनकी जगह मप्र में सुहास भगत को दी गई है। समन्वय बैठक में आयोजित की गई बैठक में यह ऐलान प्रांत के प्रचारक अरुण पोड़वाल ने किया । मेनन दिल्ली में 22 प्रकल्प के प्रमुख बनाए जा सकते हैं। पद से हटाए जाने के बाद राजस्थान की जलदाय एवं भूजल मंत्री किरण माहेश्वरी ने मेनन से मुलाकात की। गौरतलब है कि 2011 में माखन सिंह के हटने के बाद मेनन को मप्र में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। मेनन उसके पहले संगठन सह महामंत्री थे। उस समय उनके अलावा भगवतशरण माथुर भी संगठन सह महामंत्री थे।
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