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वार्ड 82 में खुलेआम मांगी जा रही है रिश्वत
ward 82 kolar

 

कोलार रोड पर एक कवर्ड कैंपस में रहने वाले हरिमोहन गुप्ता 12 नवंबर को अपने फ्लैट का संपत्ति कर जमा कराने वार्ड-82 के दफ्तर गए थे। वहां मौजूद कर्मचारी ने उन्हें दो साल का संपत्ति कर 17 हजार 668 रुपए जमा करने को कहा।

गुप्ता ने इसका ब्रेकअप बताने को कहा तो उसने कागज पर लिखा कि आप 11 हजार रुपए दे दीजिए। आपको रसीद 6500 रुपए की मिल जाएगी। इसके बाद आपको बकाया का कोई नोटिस भी नहीं आएगा। यह सुनते ही गुप्ता के कान खड़े हो गए। वे नाराज होकर वहां से उस समय निकल आए। यह किस्सा कई लोगों को सुनाया। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी। तीन दिन में माहौल बदल गया। न सिर्फ सही रकम जमा हुई बल्कि खुल्ले दो रुपए तक बाइज्जत लौटाए गए।

नियमानुसार हर व्यक्ति को अपने संपत्ति कर का सेल्फ असेसमेंट करना है। लेकिन इसकी गणना इतनी कठिन है कि आम आदमी निगम कर्मचारियों से ही यह फार्म भरने को कहता है। बार- बार परिक्षेत्र में बदलाव के कारण गणना भी बदल जाती है। इसके साथ ही निगम का यह भी नियम है कि 31 अगस्त तक ही सेल्फ असेसमेंट किया जा सकता है। निगम कर्मचारी ऐसी ही जटिलताओं का फायदा उठाते हैं।

नई परिषद के गठन से पहले तक कोलार नगरपालिका क्षेत्र में होने से संपत्ति कर काफी कम था। पिछले वित्त वर्ष में नगर निगम में शामिल होने पर यहां संपत्ति कर में एकदम से वृद्धि हो गई थी। इस पर जब स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने आपत्ति ली तो इस साल कोलार का परिक्षेत्र बदल कर यहां संपत्ति कर कम किया गया है। नए परिक्षेत्र की जानकारी आम लोगों को नहीं है।

पिछले वित्त वर्ष में नगर निगम के छह कर्मचारियों को लोकायुक्त ने संपत्ति कर और पानी के बिल में छूट देने के नाम पर वसूली करते पकड़ा था। फरवरी-मार्च के महीने में ये कर्मचारी आम लोगों को छूट दिलाने के नाम पर रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे। इन घटनाओं के बाद तत्कालीन निगमायुक्त तेजस्वी एस नायक ने स्वीकार किया था कि संपत्ति कर के खातों में भारी गोलमाल है और इसकी मैदानी जांच भी शुरू हुई थी।

सीएम हेल्पलाइन में शिकायत में गुप्ता ने कहा: मैं सीनियर सिटीजन हूं। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के लिए प्रधानमंत्री मोदी का प्रशंसक हूं। लेकिन भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के आपके सपने में पलीता लगाते हुए भोपाल नगर निगम कर्मचारी की करतूत से मेरा सामना हुआ। मैं अपनी रजिस्ट्री लेकर गया था। वहां मुझसे रिश्वत मांगी गई। भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है। मेरा मन खिन्न है।

गुप्ता तीन दिन बाद दोबारा वार्ड कार्यालय गए तो माहौल बदला हुआ देखकर हैरत में पड़े। उसी कर्मचारी ने अदब से उनसे 6,663 रुपए लिए और रसीद भी इतनी ही राशि की दी। इसमें 2015-16 के लिए करीब 3600 रुपए और 2016-17 के लिए करीब 3000 रुपए लिए गए। उनके पास खुल्ले रुपए नहीं थे। इसलिए 6665 रुपए दिए। कर्मचारी ने दो रुपए आदर सहित लौटाए।

निगम सूत्र बताते हैं कि जोन और वार्ड कार्यालय में काम कर रहे कंप्यूटर ऑपरेटर वसूली के इस खेल के सिद्धहस्त खिलाड़ी हैं। संपत्ति कर और पानी के बकाए की राशि कंप्यूटर में दर्ज करने से लेकर रसीद जारी करने का काम यही ऑपरेटर ही करते हैं। ऐसे में राशि को कम या अधिक करने में इनका रोल महत्वपूर्ण है। नगर निगम में कई ऑपरेटर दस साल से अधिक समय से एक ही वार्ड या जोन में जमे हैं। इनकी अलग ही सत्ता है। दफ्तर नौ बजे खोलने के आदेश के बावजूद ज्यादातर ऑपरेटर 11 बजे ही ऑफिस पहुंच रहे हैं। उसके बाद ही कामकाज शुरू हो पाता है।

Kolar News 27 November 2016

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