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केरवा -कोलार -कलियासोत इलाके में तीसरे बाघ ने दस्तक दे दी है। इससे पहले यहां बाघ टी-1 और बाघ टी-121 का मूवमेंट है। नया बाघ कोलार -केरवा-कलियासोत के जंगल में घूम रहा है। सोमवार रात 11.30 से 12 बजे के बीच बाघ ने संस्कार वैली स्कूल के पास आधे घंटे तक धमा चौकड़ी मचाई और 5 मिनट तक दहाड़ता रहा।मंगलवार की रात भी इस इलाके में इसका मूवमेंट देखा गया।
नए बाघ ने पहले से मौजूद बाघ (टी-1 या टी-121) के साथ मिलकर सड़क किनारे घूम रहे बैल का शिकार किया। दोनों करीब 20 मिनट तक शिकार को खाते रहे। घटना की सूचना रहागीरों ने वन विभाग को दे दी। मौके पर पहुंचे रेंजर, डिप्टी रेंजर और गश्ती दल ने दो बाघों को शिकार खाते देखा है।
वन अमले ने कड़ी मशक्कत के बाद बाघों को जंगल की ओर खदेड़ा। घटना से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। सुबह वन विभाग की टीम ने मृत बैल के अवशेषों को कब्जे में लिया और नष्ट कराया। विभाग के मुताबिक रातापानी जंगल में बाहरी दबाव बढ़ा है, जिसके कारण बाघ केरवा की तरफ आ रहे हैं।
तीसरे बाघ के पगमार्क में पांचों अंगुलियां फुटप्रिंट में दिख रही हैं। जबकि पहले से क्षेत्र में मौजूद बाघों की चार अंगुलियां ही फुटप्रिंट में दिखती हैं। हालांकि वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर बाघ की 5 में से 4 अंगुलियां ही फुटप्रिंट में आती हैं। डिप्टी रेंजर समरधा आरबी शर्मा का कहना है कि दो बाघों को शिकार खाते देखा गया है। बाघों की पहचान नहीं बता सकते।
जंगल के भीतर छोटे-छोटे रास्ते बन गए हैं। कोलर -केरवा-कलियासोत समेत आसपास की सभी सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। शोरगुल से वाइल्ड लाइफ को नुकसान पहुंचा है। निर्माण कार्यों के चलते धमाके भी हो रहे हैं। अतिक्रमण भी बढ़ रहा है।
कंजरवेटर फॉरेस्ट डॉ. एसपी तिवारी ने कहा बाघों ने बैल का शिकार किया है। बैल किसका है, इसकी जानकारी नहीं है। गश्ती दल बाघों पर लगातार निगाह रख रहे हैं। तीसरे बाघ के बारे में जानकारी नहीं है।
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