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नोटबंदी का असर भोपाल की जमीनों के रेट पर भी देखने को मिलेगा। इस साल जिले की जमीनों के मूल्य नहीं बढ़ने के संकेत मिले हैं। बताया जा रहा है कि उप जिला मूल्यांकन समिति ने अपना सर्वे का कार्य शुरू कर दिया है। लेकिन सर्वे में इस बार जमीनों के रेट नहीं बढ़ाने को लेकर तथ्य देने और साल में होने वाली रजिस्ट्री की संख्या को भी सर्वे में उल्लेख करने को कहा गया है। सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के कारण पंजीयन विभाग के आला अधिकारियों ने इस बार सर्वे में समझदारी दिखाने और जमीनों के रेट नहीं बढ़ाने को लेकर खास दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पंजीयन विभाग के अफसरों का मानना है कि जब से नोटबंदी के आदेश जारी हुए हैं, तब से लोगों में दहशत है। अब लोग रजिस्ट्री कराने और जमीन खरीदने में कम इच्छुक हैं। लोगों को लग रहा है कि अब जमीनों के रेट और गिरेंगे। प्रॉपर्टी सस्ती होगी, लोन सस्ते होंगे। इन कारणों से तय किया जा रहा है कि इस साल जिले की जमीनों के रेट यथावत रखे जाएं। इस मामले में जिला प्रशासन की कार्यवाही तय हो गई है।
नाम ना छापने की शर्त पर जिला पंजीयन विभाग के अफसरों ने बताया कि जब से राजधानी सहित पूरे प्रदेश में ई-पंजीयन शुरू हुआ है, तब से रजिस्ट्री की स्थिति काफी कमजोर है। विभाग द्वारा तय किए जाने वाले आंकड़ों और टारगेट को पाने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। टारगेट के बराबर पहुंचना तो दूर पुराने आंकड़ों तक को छूना मुश्किल लग रहा है। हर साल रजिस्ट्री कम हो रही है, इससे पंजीयन शुल्क भी कम आ रहा है। इसके साथ ही बीच-बीच में कई समस्याएं आ रही है।
जिले में रजिस्ट्री कम होने को लेकर एक तथ्य यह भी सामने आया है कि ई-पंजीयन का सर्वर हर कभी डाउन हो जाता है। सर्वर डाउन होने के कारण रजिस्ट्री ही नहीं हो पा रही हैं। लोग स्लॉट बुक करवाते हैं, लेकिन सर्वर के सही तरीके से काम नहीं करने के कारण लोगों को बार-बार पंजीयन कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते है।
कलेक्टर निशांत वरवड़े के निर्देश के बाद उपजिला मूल्यांकन समिति भोपाल जिले की वर्ष 2017-18 की प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन तैयार करने के काम में लग गई है। समिति के सभी सदस्य जमीनों के रेट तय करने के लिए सर्वे में जुट गए हैं। सभी वृत्त के एसडीएम, सब-रजिस्ट्रार, आरआई और पटवारियों ने अपना काम शुरू कर दिया है। आरआई और पटवारी पंपलेट्स, ब्रोशर व विज्ञापनों के माध्यम से नई कॉलोनियों व पुरानी कालोनियों के बिकी जमीनों के रेट लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
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