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ग्रीन कॉरिडोर बना 13 मिनट में 12KM पहुंचाया लीवर
मध्यप्रदेश का पहला लिवर ट्रांसप्लांट शुक्रवार सुबह सिद्धांता रेडक्रास हॉस्पिटल में हुआ। लिवर विमान द्वारा इंदौर से सुबह 7:46 पर भोपाल पहुंचा। एयरपोर्ट से अस्पताल के 12 किमी के सफर को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर करीब 13 मिनट में पूरा किया गया।
पहले गुरुवार रात को ट्रांसप्लांट की तैयारी थी, लेकिन इंदौर के सीएचएल अस्पताल में भर्ती अंग दाने करने वाले ब्रेन डेड मरीज के अंग देर रात तक नहीं निकल पाने के कारण इसे अगले दिन के लिए टाल दिया गया। दरअसल, मरीज के परिजन हार्ट, दोनों किडनी और लिवर दान करना चाह रहे थे, लेकिन हार्ट लेने से तीन राज्यों के बड़े अस्पतालों ने मना कर दिया। अस्पतालों से बातचीत में देरी के चलते ट्रांसप्लांट टाल दिया गया।
लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञों ने बताया कि सभी आर्गन एक साथ ही निकल सकते हैं। कोई भी अंग पहले निकलेगा तो बाकी अंग खराब हो जाएंगे। लिवर भोपाल के सिद्धांता रेडक्रास हॉस्पिटल में, किडनी के इंदौर के एक निजी अस्पताल और हार्ट दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में लगाने का निर्णय हुआ।
हार्ट लगवाने वाला (रिसीपेंट) नहीं मिलने की वजह से गंगाराम अस्पताल ने शाम छह बजे हार्ट लेने से मना कर दिया। इसके बाद हरियाणा के मेदांता अस्पताल से बात की गई, लेकिन उन्होंने भी रिसीपेंट मना कर दिया। इसके बाद फोर्टिस अस्पताल चेन्नई से बात की, पर उन्होंने रिसीपेंट नहीं होने के कारण मना कर दिया।
प्रशासन गुरुवार रात 9.30 बजे से 10 बजे के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाने की पूरी तैयारियां कर चुका था। स्टेट हैंगर से सिद्धांता अस्पताल तक 12 किमी के रास्ते को खाली कराने के लिए सड़कों पर जगह-जगह 100 से अधिक जवान तैनात कर दिए गए थे। लेकिन, रात 9 बजे ग्रीन कॉरिडोर नहीं बनाने की सूचना जारी कर दी गई।तैयारी के लिए कलेक्टर निशांत वरवड़े ने जिला प्रशासन के अफसरों के साथ दोपहर 1.30 बजे बैठक की। शुरुआत में दोपहर 4 से 5 बजे के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाने के हिसाब से प्लानिंग की गई।
इंदौर से चार्टड प्लेन से लिवर राजाभोज विमानतल पर लाया गया। चार्डर प्लेन विमानतल से स्टेट हैंगर पर पहुंचा। यहां से सिद्धांता हॉस्पिटल की एंबुलेस से लिवर अस्पताल लाया गया।प्रदेश का पहला लिवर ट्रांसप्लांट आज भोपाल में किया जा रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन, पुलिस और चिकित्सकीय टीम द्वारा जबरदस्त तैयारी की गई है। लीवर को एयरपोर्ट से रेडक्रास सिद्धांता अस्पताल पहुंचने में सिर्फ 13 मिनट ही लगे। यहां की दूरी 12 किमी है।
भोपाल और सेंट्रल इंडिया का यह पहला अनुभव है। इस चुनौती में पुलिस विभाग के 125 लोगों ने साथ दिया, जिसमें 4 डीएसपी, 5 टीआई, 20 सब इंस्पेक्टर और 80 ट्रेफिक पुलिस के अधिकारी थे। एयरपोर्ट से एंबुलेंस 7. 33 बजे निकली और 7 बजकर 46 मिनिट पर अस्पताल पहुंची। 12 किमी की दूरी के लिए 18 से 19 मिनिट का समय दर्ज किया था, लेकिन 13 मिनिट में दूरी तय हुई।
भोपाल में जिस लीवर को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है, वह बुरहानपुर के रहने वाले सुनील विट्ठल देवकर का है। ब्रेन हेमरेज के मरीज देवकर का इंदौर के एमवाय अस्पताल में इलाज चल रहा था। आराम न मिलने पर देवकर के रिश्तेदारों से सुनील के अंगदान का कहा। इसके बाद एमवाय के चिकित्सकों ने देवकर को सीएचएल अपोलो शिफ्ट किया, जहां से लीवर को ट्रांसप्लांट कर चार्टर्ड विमान से राजधानी भोपाल भेजा गया।
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