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गीता ज्ञान द्वापर युग में नहीं दिया गया
सारे विश्व के लिए आधारभूत ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता
जब जब विश्व में धर्म की अति ग्लानि होती है तब गीता ज्ञान दाता तथा सत्य ज्ञान की आवश्यकता महसूस होती है। वास्तव में गीता में वर्णित युद्ध हिंसक नहीं किंतु अपने ही मनोविकारों के ऊपर विजय प्राप्त करने के लिए किया गया युद्ध है। इसीलिए श्रीमद्भगवद्गीता को सुनने से मन को शांति का अनुभव होता है। द्वापर युग में अगर गीता ज्ञान दिया गया होता तो उसके बाद कलियुग नहीं आना चाहिए था। गीता ज्ञान 5000 वर्ष पूर्व दिया गया यह बात सही है। लेकिन उस समय कलियुग का अंतिम समय, अति धर्म ग्लानी का समय चल रहा था। उक्त विचार व्यक्त कर रहे थे मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री अवधेश प्रताप सिंह और आयोजन था ब्रह्मा कुमारीज,सुख शांति भवन, नीलबड़ के अनुभूति भवन में गीता जयंती महोत्सव का। आपने आगे कहा की, गीता जीवन प्रबंधन का शास्त्र है। सर्व शास्त्र मई शिरोमणि श्रीमद्भगवद्गीता के सर्वाधिक भाषांतर हुए हैं एवं अनेक टिप्पणियां लिखी गई है। वर्तमान समय में इस गीता ज्ञान को जीवन में उतारने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य वक्ता बौद्ध धर्म प्रचारक साध्वी संघमित्रा जी ने कहा, लोग धर्म की बात करते हैं लेकिन उसको जीवन में धारण नहीं करते हैं। निर्मल मन द्वारा की गई हर प्रार्थना अवश्य सफल होती हैं। उन्होंने सबके प्रति मंगल कामना व्यक्त करते हुए पाली भाषा में प्रार्थना भी सुनाई। आयुर्वेद के सुप्रसिद्ध चिकित्सक एवं गीता विद्वान प्रोफेसर डॉ दिलीप नलगे ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता विश्व के हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है। क्योंकि इसमें सभी धर्म के आत्माओं के पिता परमात्मा निराकार शिव द्वारा उच्चारण किए गए महावाक्य है। वास्तव में हम सब आत्माओं के पिता परमात्मा एक है, हिंदू धर्म में हम ज्योतिर्लिंग के रूप में , मुस्लिम धर्म में नूर ए इलाही, ईसाई धर्म में काइंडली लाइट तथा सिख धर्म में ओंकार के रूप में इसे माना जाता है। लेकिन वह एक ही शक्ति है जिन्होंने गीता के माध्यम से हम सब अर्जुनों को सत्य ज्ञान दिया है। भोपाल के सुप्रसिद्ध एडवोकेट लायन महेश साहू ने कहा, गीता ज्ञान अगर जीवन में धारण किया जाए तो जीवन धन्य हो जाता है। ब्रह्माकुमारीज़, सुख शांति भवन, नीलबड़ की डायरेक्टर बीके नीता दीदी ने गीता में वर्णित राजयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। राजयोग हमें अपने मन तथा इंद्रियों पर राज्य करना सिखाता है जिससे हम राजाओं के राजा बन जाते हैं। राजयोग में ही भक्ति योग, कर्मयोग तथा संन्यास योग भी समाहित है। आप ने सबको राजयोग मेडिटेशन के द्वारा शांति की अनुभूति कराई। कार्यक्रम का कुशल सूत्र संचालन एवं आभार प्रदर्शन वरिष्ठ राजयोगी बीके रामकुमार भाई ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया तथा अंत में भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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