जेल से फरार 8 सिमी आतंकवादियों का एनकाउंटर होने के बाद भोपाल पुलिस के अधिकारी दिन-रात इसी से जुड़े काम में लगे हैं। इस कारण शहर में हुए अन्य अपराधों की विवेचना का काम पिछड़ गया है। इस सबके बीच जेल की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। मुलाकातियों पर नजर रखी जा रही है।
दीपावली की देर रात भोपाल केंद्रीय जेल से सिमी आतंकियों के फरार होने और एनकाउंटर में मारे जाने के बाद भोपाल पुलिस इसकी विवेचना में काफी व्यस्त हो गई है। हालात यह हैं कि जिला पुलिस के आला अधिकारियों के पास थानों में दर्ज होने वाले अपराधों की पड़ताल तो दूर मानीटरिंग का समय भी नहीं मिल पा रहा है। आतंकियों की फरारी, मुख्य प्रहरी की हत्या के साथ लॉ एंड आॅर्डर को संभालने और सिमी के लोकल नेटवर्क को खंगालने के चक्कर में रूटीन क्राइम पर अधिकारी फोकस नहीं कर पा रहे हैं।
आतंकियों के जेल से भागने के बाद थाना प्रभारियों और अधिकारियों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया था। जेल बे्रक से एनकाउंटर तक किसने कितनी सक्रियता दिखाई। कोताही बरतने वालों व हीलाहवाली करने वालों पर गाज भी गिरेगी, वहीं उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रात्साहित होंगे।
भोपाल पुलिस का अभी एक सूत्रीय एजेंडा चल रहा है। वह आतंकियों से कौन लोग मिलने आने वाले थे। कौन लोग आतंकियों के जेल में मदद करते थे, जेल के बाहर से कौन लोग उन्हें मदद पहुंचाते थे। साथ ही जेल से फरार होने के बाद किन लोगों ने उनकी मदद की। ऐसे कौन से अपराधी या व्यक्ति हैं जो सिमी आतंकियों के संपर्क में थे। सिमी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद कौन लोग शहर की फिजा खराब करने की कोशिश कर सकते हैं या इस घटना का बदला लेने की कोशिश कर सकते हैं।
आला अधिकारियों के दूसरे महत्वपूर्ण केस में व्यस्त होने का कुछ थाना प्रभारी और निचला स्टॉफ फायदा भी जमकर उठा रहा है। निचले स्तर के अधिकारी केसों की मानीटरिंग न होने से विवेचनाओं को ठंडे बस्ते में डाल किए हैं। कुछ मामलों में अपने मनमाफिक सेटल करना भी शुरू कर दिया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो जिन थानों में बड़े अपराधों की पेंडेंसी कम है, वे जेल ब्रेक से लेकर अन्य दूसरे कार्यों में अधिक ध्यान लगाने लगे हैं।