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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हम सब मिल कर यह चुनौती स्वीकार करें कि आगामी एक साल में प्रदेश में कोई बच्चा कम वजन का नहीं रहेगा। प्रत्येक आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपने क्षेत्र के हर बच्चे और महिला को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराने को केवल शासकीय कार्य नहीं अपितु अपना व्यक्तिगत कर्त्तव्य मानें। महिला-बाल विकास मात्र विभाग नहीं, मेरा अपना परिवार है। महिलाओं - बच्चों के सर्वांगीण विकास और सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति में सुधार तथा महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रहे इस विभाग के मैदानी अमले की मेहनत और विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों की सजगता एवं जागरूकता की समाज और प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। आज का यह कार्यक्रम, प्रदेश की जनता की ओर से विभाग की सेवाओं का सम्मान तथा प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों को पुरस्कृत करने का कार्यक्रम है। राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और पर्यवेक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही प्रतिवर्ष जिला स्तर पर भी श्रेष्ठ कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान महिला-बाल विकास के मैदानी अमले के मार्गदर्शन, प्रोत्साहन एवं उत्प्रेरणा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। बाल भवन के बच्चों द्वारा मध्यप्रदेश गान की प्रस्तुति दी गई, जिसके सम्मान में सभी खड़े हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उत्कृष्ट कार्य करने वाली आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक और अधिकारियों को पुरस्कार वितरित किए। कार्यक्रम से प्रदेश के सभी जिला कार्यालय वर्चुअली जुड़े तथा विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों ने भी वर्चुअल सहभागिता की। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि माँ-बहन और बेटी को उनका अधिकार दिलाना मेरे जीवन का उद्देश्य है। प्रदेश में लिंगानुपात बराबर करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ। बेटे की चाह ने बेटियों के साथ बहुत अन्याय किया है। हमारी सरकार बेटियों को बोझ समझने के सब कारणों को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2011 की जनगणना के समय प्रदेश का शिशु लिंगानुपात 919 था। एनएचएफएस-5 के अनुसार जन्म के समय लिंग अनुपात 927 से बढ़ कर 956 हो गया। महिला-बाल विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में समाज का हरसंभव सहयोग लिया जाएगा। अडाप्ट एन आँगनवाड़ी में जन-सहभागिता को प्रोत्साहित किया जा रहा है। समाज भी आँगनवाड़ियों के लिए अधिक से अधिक सहयोग करने के लिए तत्पर है। भोपाल में आँगनवाड़ियों के लिए लोगों ने भरपूर सामग्री दी और इन्दौर से आर्थिक रूप से हरसंभव सहयोग मिला है।
मुख्यमंत्री चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना-2 के प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि इंजीनियरिंग, मेडिकल, क्लैट की पढ़ाई तथा अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश लेने वाली लाड़ली लक्ष्मी बेटियों की फीस राज्य शासन द्वारा भरवाई जाएगी। बेटियों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए हरसंभव सहायता और अवसर उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहाँ नगरीय निकायों और पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसी का परिणाम है कि अब, घर की दहलीज पार नहीं करने वाली महिलाओं के आधार पर परिवार के पुरूषों को पहचान मिल रही है। उन्हें सरपंच पति, पार्षद पति के रूप में जाना जा रहा है। महिला पुलिस के रूप में कानून-व्यवस्था संभालती बहन-बेटियों को देख कर मन प्रसन्नता से भर जाता है और लगता है कि महिला सशक्तिकरण का भाव वास्तविक स्वरूप में क्रियान्वित हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बहन-बेटियों को सुरक्षित वातावरण देने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। कई प्रकरणों में प्रदेश में बेटियों को गलत नजर से देखने वालों को फाँसी की सजा सुनाई गई है। दुराचारी किसी भी स्थिति में बख्शे नहीं जाएंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोविड जैसी महामारी के दौरान प्रदेश में बच्चों की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने ली। जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया उनके लिए मुख्यमंत्री कोविड सहायता योजना लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि महिला-बाल विकास बहुत संवेदनशील विभाग है। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएँ, बहनों की प्रसव पूर्व जाँच कराने में मदद और उन्हें सभी टीके लगवाने के लिए प्रेरित कर जीवन सहजने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण के लिए 16 हजार रूपये की व्यवस्था की गई है। हमें विभागीय गतिविधियों में गड़बड़ियों की संभावनाओं को निर्मूल करने की ओर आगे बढ़ना है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी गतिविधियों की मॉनिटरिंग व्यवस्थित और सजग रूप से हो। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से मिलने, उनसे बातचीत करने और उनसे सुझाव लेने के लिए हर 3-4 माह में कार्यक्रम किए जाएंगे। साथ ही विभागीय गतिविधियों के बारे में सुझाव आमंत्रित कर व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा। संचालक, महिला-बाल विकास डॉ. रामराव भोंसले ने बताया कि प्रदेश में 92 हजार 153 आँगनवाड़ी तथा 453 परियोजनाएँ संचालित हैं। विभाग में कार्यरत 1 लाख 90 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी इस कार्यक्रम से वेबकास्ट एवं अन्य वर्चुअल माध्यमों से जुड़े हैं।
Kolar News
13 November 2022
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