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कांग्रेस अपने संगठनात्मक आधार को मजबूत करने में लगी हुई है। पार्टी ने मध्यप्रदेश में 2 अक्टूबर से अब तक 7000 गांधी चौपाल आयोजित की हैं। ये चौपालें छोटे-छोटे मजरे टोला से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों और शहर के वार्डों तक में आयोजित की गई हैं। इन चौपालों के माध्यम से प्रदेश की वास्तविक स्थितिसामने आ रही है। कांग्रेस का कहना है। 18 साल के कुशासन में किस तरह से जनता दमन , शोषण और गरीबी का शिकार हुई है। यह भुलाया नहीं जा सकता। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और गांधी चौपाल के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि आगामी 15 नवंबर को छिंदवाड़ा के शिकारपुर में गांधी चौपाल आयोजित की जाएगी। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ शामिल रहेंगे। गुप्ता ने यह भी बताया कि छिंदवाड़ा जिले में एक ही दिन में एक साथ अलग-अलग समन्वयकों ने एक ही दिन में 54 गांधी चौपाल लगाने का रिकॉर्ड कायम किया है। प्रदेश में ग्वालियर,इंदौर, रीवा,सहित कई जिलों में सर्वाधिक चौपालें आयोजित हुई हैं। उन्होंने बताया कि चौपालों के माध्यम से जो जानकारियां सामने आ रही हैं, वे चौंकाने वालीं हैं। कई जिलों में टापुओं पर नागरिक बसाहटें हैं। गांव जाने के लिए नाव से जाना पड़ता है। और नाव से उतरने के बाद भी 2-2 किलोमीटर ऊपर पहाड़ चढ़ना पड़ता है।
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के ज्यादातर सीमावर्ती इलाके पलायन की समस्या से ग्रसित हैं। कई गांव में बुजुर्ग महिलाओं के अलावा कोई भी नहीं मिलता। सारे पुरुष गुजरात ,उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मुंबई काम की तलाश में पलायन कर गए हैं। प्रदेश में मनरेगा या अन्य कोई योजना उन्हें संतोषजनक काम देने में असफल हुई है। कई गांव में बिजली नहीं है। पीने के पानी के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है। डॉक्टरों की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में कभी-कभी भगवान के वरदान की तरह मिल पाती है। गुप्ता ने कहा हैरान करने वाली बात है कि पीने का पानी, बिजली और अधिकृत राशन तो नहीं पहुंचा। लेकिन नशा गांवों-गांव तक पहुंच गया है। बेरोजगार नशे के चपेट में हैं। महंगाई विस्फोटक है। गुप्ता ने कहा कि चौपालों के माध्यम से आने वाली समस्याओं की जानकारी प्रदेश की जनता को 2023 में प्रमाण सहित दी जाएगी। लगभग 3000 चौपाल समन्वयक निरंतर गांव से जनसंपर्क को सतत बनाए हुए हैं।
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