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भोपाल जिला भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर नेताओं के जहां पुराने छाले फूट रहे हैं तो अपने-अपने हिसाब से नई जमावट की तैयारी है। संघ ने पुराने नेता भगवानदास सबनानी का नाम जिलाध्यक्ष के संगठन को भेजा था। लेकिन सबनानी के विरोध में शहर ही दिग्गज भाजपा नेता एकजुट हो गए। अब एक बार फिर नए जिलाध्यक्ष को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है।
विधायक रामेश्वर शर्मा और भगवान सबनानी का पंगा पुराना है। जब रामेश्वर ने उत्तर से चुनाव लड़ा था तो सबनानी ने विरोध किया था। और जब सबनानी ने महापौर का चुनाव लड़ा था तो रामेश्वर पर आरोप लगे थे। चूंकि सबनानी सिंधी समाज विशेषकर बैरागढ़ की राजनीति करते हैं और रामेश्वर शर्मा यहां से विधायक है, इसलिए इनकी पटरी कभी नहीं बैठती।
जिला अध्यक्ष के लिए सबनानी का नाम आगे बढ़ाने के पीछे संगठन में बढ़ती विधायकों की दखलंंदाजी रोकना है। संघ नेता चाहते हैं कि सबनानी को अध्यक्ष बनाने से यह दखलंदाजी रूकेगी। अभी मंडल अध्यक्ष विधायकों की सुनते हैं, जिलाध्यक्ष की नहीं। पार्षदों के टिकट वितरण में भी विधायकों ने मनमानी दिखाई थी। सबनानी को आगे लाकर सिंधी समाज पर भी संघ की नजर है।
महापौरअलोक शर्मा और सबनानी की जोड़ी चर्चित थी। सूत्रों के अनुसार शर्मा चाहते हैं कि जिला अध्यक्ष संघ, विधायकों सहित अन्य नेताओं को साथ लेकर चलने वाला बने। नई पीढ़ी से भी उन्हें गुरेज नहीं है।
मंत्री बनने के बाद सारंग शहर के नेताओं में खुद एक पावर सेंटर बन गए हैं। कार्यकर्ताओं का विश्वास इधर बढ़ा है। सारंग का सबसे तालमेल बन रहा है, लेकिन रामेश्वर शर्मा से विशेष है। ऐसे में स्वाभाविक है जिलाध्यक्ष में इनकी सहमति ली जाएगी।
बीजेपी के प्रदेशध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान कह चुके हैं कि जिलाध्यक्ष को विधायक का टिकट नहीं मिलेगा। ऐसे में सुरेन्द्रनाथ सिंह का नाम भोपाल जिला अध्यक्ष के लिए उछाला जा रहा है। चर्चा यह है कि आखिर किसकी नजर उनके विधानसभा क्षेत्र मध्य पर है।
जिलाध्यक्ष कोई रहे मंत्री गुप्ता का अपना अलग पावर है। सूत्रों के अनुसार आलोक शर्मा से अभी उनका तालमेल अच्छा है। गुप्ता अब अपने समर्थक रामदयाल प्रजापति को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं।
भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और भगवानदास सबनानी का पुराना बैर है। बरखेड़ी के एक विवाद में तो गौर ने सबनानी पर कार्रवाई भी करवा दी थी। यही कारण है कि बैरागढ़ में गौर का सर्वाधिक विरोध सबनानी ही करते थे। यही नहीं इन्होंने गोविंदपुरा से टिकट भी मांगा था।
भगवानदास सबनानी ने भाजपा छोड़ दी थी और जनशक्ति में चले गए थे। यही नहीं एक बार भाजपा के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। अब सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। गौरतलब है कि जनशक्ति का विलय भाजपा में हो चुका है।
भगवानदास सबनानी, रामदयाल प्रजापति, कृष्णमोहन सोनी के साथ ही सत्यार्थ अग्रवाल, लिली अग्रवाल, बसंत गुप्ता मालती राय के नाम चर्चा में हैं।
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