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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 22 अगस्त को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पधारे। इस दौरान वे स्व. कुशाभाऊ ठाकरे की स्मृति में हुए कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। जहाँ कार्यक्रम में गृहमंत्री ने स्व. कुशाभाऊ ठाकरे का स्मरण करते हुए कहा कि वे जो शिक्षा अन्य लोगों को देते थे, उस पर स्वयं भी चल कर दिखाते थे। मध्यप्रदेश के निवासी भाग्यशाली हैं कि उन्हें प्रदेश में ऐसे महापुरूष का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कोई व्यक्ति किस तरह का सेवाभावी हो, यह जानना है तो कुशाभाऊ जी के जीवन को देखें। उनका पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित था। वे आपातकाल में 19 माह कारावास में भी रहे। स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक अनेक दायित्वों का निर्वहन किया। उनका जीवन राष्ट्र के लिए कार्य करने की दृष्टि से एक विशिष्ट उदाहरण है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर इस वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन सराहनीय है। गृहमंत्री के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ने भी अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश में स्व. कुभाभाऊ ठाकरे की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रम हो रहे हैं। स्व. ठाकरे जी का भाषण नहीं, आचरण बोलता था। स्व. ठाकरे के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम सभी ठाकरे जी के जीवन को आदर्श मानकर देश को आगे बढ़ाने का कार्य करें। आज शिक्षा नीति पर इस संगोष्ठी के अवसर पर यह बताना प्रासंगिक होगा कि मध्यप्रदेश में विद्यार्थियों को शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्यों ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देने के अनुसार व्यवस्थाएँ की गई हैं। शिक्षा बहुआयामी हो। संगीत जानने वाला गणित भी पढ़े और वाणिज्य का विद्यार्थी कलाओं का ज्ञान भी प्राप्त करें, यह आवश्यक है।
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