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केंद्र सरकार ने बुधवार को कैबिनेट कि बैठक हुई जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 8 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की संसदीय बोर्ड और केन्द्रीय चुनाव समिति से बाहर कर दिया गया। राजनीतिक विशेषज्ञ आश्चर्य में है की बीजेपी ने ऐसा क्यों किया | चौहान भाजपा शासित राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता हैं और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक साल बाद अगस्त 2014 में संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था। राजनीतिक विशेषज्ञ दिनेश गुप्ता ने कहा, "यह मध्य प्रदेश की राजनीति में यह एक बड़ा बदलाव है चौहान को बोर्ड और सीईसी से हटाना राज्य नेतृत्व में संभावित बदलाव का संदेश दिख रहा है। उन्होंने आगे कहा चौहान के राजनीतिक करियर सेंध लगने वाली है। प्रदेश में यह अफवा है की 2023 के चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा का चेहरा नहीं होंगे" शिवराज सिंह चौहान।
एक अन्य राजनीतिक विशेषज्ञ गिरिजा शंकर ने कहा, “इस फैसले के पीछे के लॉजिक को समझना बहुत कठिन है क्योंकि चौहान की जगह पार्टी में अलोकप्रिय चेहरे ले लिए गए हैं लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा की मध्य प्रदेश में राजनीति में बड़ा बदलाव होगा। गिरजा ने कहा चौहान की छवि अभी भी जनता और पार्टी के लोकप्रिय नेताओं में से एक है लेकिन अब जनता बदलाव चाहती है बीजेपी पार्टी प्रवक्ता ने कहा “सीएम शिवराज सिंह चौहान की स्थिति में बदलाव की अटकलें निराधार हैं क्योंकि कई भाजपा मुख्यमंत्री हैं जो बोर्ड और सीईसी का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी स्थिति खतरे में है। हम इस फैसले पर विचार कर रहे हैं क्योंकि पार्टी चाहती है कि सीएम चौहान केवल 2023 के चुनाव पर ध्यान है।
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