Video

Advertisement


बारिश हुई तो प्रत्याशियों के माथे पर पसीना इलाके डूबे तो वोट भी डूबेंगे
बारिश हुई तो प्रत्याशियों के माथे पर पसीना इलाके डूबे तो वोट भी डूबेंगे

प्रदेश की राजधानी सहित लगभग पूरे प्रदेश में मानसून का आगमन हो चुका है। ऐसे में इस मानसून ने आते ही चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ानी शुरु कर दी हैं। कारण साफ है कि अब समस्याओं का आगमन होगा और जहां भी समस्याएं उठी, वहां से प्रत्याशियों के वोट कम होना तय माना जा रहा हैं।ये स्थिति प्रदेश सहित राजधानी भोपाल में भी बनी हुई है। और मानसून के दौरान तेज बारिश चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की चिंता की वजह बनी हुई है। एक ओर जहां कांग्रेस को इंतजार है कि तेज बारिश का, ताकि भाजपा के विकास कार्यों की पोल खुले। वहीं भाजपा प्रत्याशियों में भय बना हुआ है कि पिछले दो कार्यकाल में सीवेज नेटवर्क का काम नहीं हुआ है, यदि शहर डूबा तो उन्हें वोट कौन देगा? ऐसे में माना जा रहा है कि यदि 6 जुलाई से पहले दि तेज बारिश हुई तो पुराने पार्षदों का वोट बैंक बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। इसका कारण ये है कि लोग हर साल बारिश के मौसम में जलभराव वाले इलाकों में व्यवस्था को कोसते नजर आते हैं, लेकिन अब तक उनकी समस्याओं का निराकरण ही नहीं किया गया है। ऐसे माहौल में यदि वोटिंग होती है तो निश्चित रूप से भाजपा का वोट बैंक प्रभावित होगा और इसका सीधा फायदा कांग्रेस एवं निर्दलीयों को मिलेगा। राजधानी भोपाल में होशंगाबाद रोड से प्रमुख रूप से 6 वार्ड जुड़े हैं। इनमें वार्ड-52, 53, 54, 55, 56 और 85 शामिल हैं। यहां के कुल 1 लाख 37 हजार 688 वोटर पार्षद और महापौर को चुनेंगे। यदि आबादी की बात करें तो यह चार गुना ज्यादा है, यानी 6 लाख से अधिक है। एम्स, बीयू, एम्प्री जैसे संस्थान भी इससे जुड़े हैं। इन इलाकों में पानी भरने की समस्या पुरानी है। कटारा हिल्स इलाके की कालोनियों डाउन स्ट्रीम में है। होशंगाबाद रोड, बागमुगलिया, बागसेवनिया जैसे इलाकों का पूरा ड्रेन वॉटर कटारा हिल्स की कॉलोनियों में भर जाता है क्योंकि यहां कोई नाला मौजूद नहीं है। सबसे ऊंचाई पर स्थित मोतिया तालाब जब ईदगाह हिल्स से आने वाले बहाव से ओवर फ्लो होता है तो इसका पानी निचले इलाके में स्थित नवाब सिद्दकी हसन तालाब को भरता है, जब दोनों तालाब ओवर फ्लो होते हैं तब पीरगेट के पास स्थित बागमुंशी तालाब में बाढ़ का पानी आकर नियंत्रित होता है। अत्याधिक बारिश के बाद जब तीनों तालाब ओवर फ्लो होने की कगार पर पहुंच जाते हैं तब सेफिया कॉलेज नाले के जरिए बाढ़ का पानी शहर में भरना शुरू हो जाता है। इस दौरान शहरवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ये पानी गुर्जरपुरा, मंगलवारा, पात्रा नाला होकर अशोका गार्डन और नरेला के निचले इलाकों को जलमग्न कर देता है। दो साल से बगैर महापौर और पार्षदों के चल रहे नगर निगम का बाढ़ कंट्रोल जलप्लावन के दौरान तमाशबीन की भूमिका में आ जाता है। अफसरों के दबाव में वीआइपी शिकायतों पर अमल होता है जबकि निचले इलाकों की गरीब बस्तियों के लोग बारिश झेलते रहते हैं।

Kolar News 3 July 2022

Comments

Be First To Comment....

Page Views

  • Last day : 8796
  • Last 7 days : 47106
  • Last 30 days : 63782
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2024 Kolar News.