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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जगत और जीवों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले श्रद्धेय संत सिंगाजी महाराज के प्रकटोत्सव पर हार्दिक बधाई दी है।
मुख्यमंत्री चौहान ने संत सिंगाजी महाराज के पवित्र, प्रखर और ओजस्वी विचारों को प्रासंगिक मानते हुए मंगलवार को कहा कि सिंगाजी महाराज एक कवि और विलक्षण संत थे। लगभग 500 वर्ष पहले उन्होंने अवतरित होकर मानवता के लिए जीवन समर्पित किया।
संत जी के सम्मान में जलाशय और परियोजनाओं का नामकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा जल विद्युत विकास निगम की करीब 900 वर्गमीटर में फैली संत सिंगाजी जलाशय परियोजना भारत के सबसे बड़े और एशिया के दूसरे सबसे बड़े जलाशय के निकट स्थित है। यहाँ पीपल्या ग्राम में संत सिंगाजी की पावन समाधि है। परियोजना के डूब क्षेत्र में आने से संत सिंगाजी के मंदिर को विशेष निर्माण से सुरक्षित किया गया है। परियोजना के जलाशय का नामकरण संत सिंगाजी के सम्मान में उनके नाम पर किया गया है। थर्मल पावर प्लांट और ताप विद्युत परियोजना, मुंडी का नामकरण भी संत सिंगाजी के नाम पर किया गया है।
नर्मदा घाटी के संत जी का संक्षिप्त परिचय
संत सिंगाजी खजूरी ग्राम में जन्में थे, जो वर्तमान में बड़वानी जिले में है। सिंगाजी खंडवा के निकट स्थित ग्राम का नाम भी है। निमाड़ अंचल में संत सिंगाजी के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। वे संत कबीर के समकालीन थे और उन्होंने जीवनकाल में गृहस्थ होकर भी निर्गुण होकर उपासना की। उनकी वाणी अलौकिक मानी गई। वे एक पशु रक्षक देव के रूप में भी स्वीकार किए गए हैं। उन्हें नर्मदा घाटी के संत के नाम से ख्याति मिली। कई स्थानों पर संत सिंगाजी के डेरे और समाधियाँ निर्मित हैं, जहाँ पारम्परिक मेले लगते हैं। शरद पूर्णिमा पर उनकी समाधि स्थल पर पहुँचकर श्रद्धालु नमन करते हैं। मध्यप्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी इनमें शामिल होते हैं। कवि संत सिंगाजी के आध्यात्मिक गीत पिछली पाँच सदियों से लोगों के जुबाँ पर बने हुए हैं।
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