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ग्वालियर। आगामी 30 अप्रैल को शनिचरी अमावस्या है। इस दिन वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण पडऩे जा रहा है। भारत में ग्रहण के स्पर्श और मोक्ष के समय रात्रि होने से यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इस ग्रहण का ना ही सूतक, वेध, कर्म, यम, नियम, स्नान, दान, पुण्य आदि की मान्यता नहीं होगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ.सतीश सोनी ने बताया कि 30 अप्रैल को वैशाख मास की अमावस्या तिथि के दिन शनिचरी अमावस्या पर वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इसके एक दिन पहले 29 अप्रैल को शनि गोचर करके कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि का राशि परिवर्तन भारत को और ज्यादा आत्मनिर्भर बनाएगा। यह अमावस्या शनिवार के दिन होने के कारण शनिचरी अमावस्या का योग बन रहा है। जबकि वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को लगेगा।
उन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण की दृश्यता के अनुसार ही सूतक काल का निर्धारण भी किया जाता है। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा और ना ही इसका कोई सूतक काल मान्य होगा। इस बार यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार इसका स्पर्श मध्य रात्रि में 12.15 पर होगा। ग्रहण का मध्य रात्रि में 2.12 बजे पर, वही रात्रि 4.08 बजे मोक्ष होगा। भारत में स्पर्श और मोक्ष के समय रात्रि रहेगी। इससे यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इसलिए ग्रहण हेतु वेध, सूतक, स्नान, दान, पुण्य, कर्म, यम, नियम, जप, अनुष्ठान हेतु मान्यता नहीं होगी। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पश्चिमी भाग प्रशांत महासागर और दक्षिण ध्रुव में दिखाई देगा।
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