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पट्टे की जमीन पर बना रेस्तरां निगम ने तोड़ा
atikrman shahpura

नगर निगम ने अवैध निर्माण के खिलाफ  बड़ी कार्रवाई की। शाहपुरा में पट्टे की जमीन पर तीन साल पहले बिना अनुमति के बने फ्यूजन एंड स्पाइस रेस्तरां को तोड़ दिया। हालांकि रेस्तरां मालिकों ने कार्रवाई को रुकवाने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन निगम अफसरों ने कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया। सुबह करीब 11 बजे निगम अमले के मौके पर पहुंचने के कुछ देर बाद ही स्थानीय विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंच गए। विधायक ने निगम अफसरों से कार्रवाई का आधार पूछा और रेस्तरां मालिकों से भी उनका पक्ष पूछा। अतिक्रमण अधिकारी कमर साकिब ने जब उन्हें वास्तविकता बताई तो उन्होंने भी कार्रवाई पर सहमति जता दी। 

गौरतलब है करीब छह महीने पहले परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान ने महापौर आलोक शर्मा और तत्कालीन निगम कमिश्नर तेजस्वी एस नायक से शाहपुरा में बने इस रेस्तरां की शिकायत की थी। आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सक्सेना भी दस महीने से इसकी शिकायत कर रहे थे। 31 अगस्त को महापौर एक कार्यक्रम के सिलसिले में शाहपुरा पहुंचे थे। रास्ते में उनकी नजर इस अवैध निर्माण पर पड़ी तब महापौर ने वहीं से कार्रवाई के निर्देश दिए थे। 

दरअसल, 1987 में कलियासोत डैम के निर्माण के समय चंदनपुरा गांव से 183 परिवारों को विस्थापित कर शाहपुरा में बसाया गया था। सभी को 1000- 1000 वर्ग फीट के अस्थायी पट्टे दिए गए थे। इसमें से तीन पट्टे प्लाट नंबर 24, 25 और 26 पर 26 अगस्त 2013 से यह रेस्तरां संचालित हो रहा है। यह प्लाॅट मो. सलीम, छोटे खान और शफकत मो. खान को आवंटित थे। एक बिल्डर राजेंद्र सिंह कुशवाह नेे यह तीनों प्लाॅट खरीद कर निगम से बिना अनुमति के एक रेस्तरां बनाया। क्रशर संचालक और कांट्रेक्टर अजय अग्रवाल, लाल सिंह, रोहित पाठक और संदीप सूद ने पार्टनरशिप में यह रेस्तरां शुरू किया।

पट्टे की जमीन के लिए नियम है कि पट्टे की जमीन को खरीदा -बेचा नहीं जा सकता, बिल्डर कुशवाह ने दानपत्र पर यह प्लाट खरीदे।निर्माण के लिए भवन अनुज्ञा नहीं ली, नियमानुसार यह मिल भी नहीं सकती थी। पट्टे के प्लाटों को आपस में जोड़ कर निर्माण नहीं होता, इसमें तीन प्लाट जोड़े गए। अस्थायी पट्टा कच्चा मकान बनाने के लिए दिया था। यहां पक्का निर्माण कर व्यावसायिक गतिविधि संचालित नहीं की जा सकती। 

कार्रवाई शुरू होने से पहले रेस्तरां संचालकों ने इसे रुकवाने की पूरी कोशिश की। वल्लभ भवन से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक से कई अफसरों ने फोन करके अपर आयुक्त एमपी सिंह और सिटी प्लानर सुनीता सिंह से कार्रवाई के बारे में जानकारी ली। दोनों अफसरों ने जब वास्तविकता बताई तो कोई भी उन्हें कार्रवाई रोकने के लिए नहीं कह सका। 

निगम की भवन अनुज्ञा शाखा के असिस्टेंट इंजीनियर महेश सिरोहिया और सब इंजीनियर प्रदीप बंडैया की जोड़ी ने यह अवैध निर्माण होने दिया। शाहपुरा क्षेत्र में बिना अनुमति के होने वाले निर्माण रोकने की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों पर है। 2012 में इस रेस्तरां का निर्माण शुरू हुआ अगस्त 2013 में यह पूरा हुआ, लेकिन इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं हुई। निर्माण पूरा होने पर भी जब शिकायत हुई तो केवल नोटिस जारी किए गए। इनका बाल बांका नहीं हुआ। 

 

Kolar News 4 September 2016

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