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कलियासोत :30 साल पहले अनुमति दी बता रहे हैं अवैध
kaliyasot makan
कलियासोत नदी के किनारे 30 साल पहले टीएंडसीपी ने जिस कॉलोनी को बनाने के लिए नक्शा स्वीकृत किया, कलेक्टर ने अनुमोदन किया, नगर निगम ने एओसी जारी की और ग्राम पंचायत न अनुशंसा की, अब उन्हें ही नोटिस जारी कर अवैध कहा जा रहा है।
 
नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा द्वारा हाल ही में कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट के 33 मीटर दायरे में आने वाले रहवासियों को नोटिस जारी किया गया है। इसमें तीन दिनों के अंदर भवन अनुज्ञा मानचित्र और भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि यदि इस अवधि में जवाब नहीं दिया जाता तो भवन को अवैध मानकर कार्रवाई की जाएगी। सर्वधर्म (दामखेड़ा) के लोगों का कहना है कि टीएंडसीपी, कलेक्टर की अनुमति के बाद भी मकान बनाया। फिर उनके मकानों को अवैध क्यों कहा जा रहा है।
 
वर्ष 1984 में कलेक्टर ने कॉलोनी के नक्शे को अनुमोदन किया था, इसके बाद 1991 तक कॉलोनी विकसित हो गई। भोपाल डेवलपमेंट प्लान 1991 में सर्वधर्म इलाके को इस इलाके को टीएंडसीपी में प्लानिंग एरिया से बाहर बताया था। यानी ग्रीन बेल्ट का प्रावधान नहीं था। वर्ष 2005 के मास्टर प्लान में इस जगह को वर्तमान आवासीय श्रेणी में रखा गया। जबकि इसके बाद वाली कॉलोनियों में ग्रीन बेल्ट 33 मीटर का प्रावधान किया गया।
 
निगम अमले ने नोटिस जारी करने में भी गड़बड़ियां की हैं। रहवासियों के अनुसार निगम अमले ने नदी के किनारे जाकर लोगों के नाम पूछे और इनमें से अपनी मर्जी से मौके पर ही भवन स्वामी का नाम लिखकर नोटिस चस्पा कर दिया। जबकि नदी के किनारे अन्य भवन स्वामियों को छोड़ दिया गया। सर्वधर्म ए और बी सेक्टर में 40 भवन मालिकों को नोटिस जारी हुए हैं। जबकि लगभग 20 मकानों को छोड़ दिया गया है।
 
आदेश का उल्लेख नहीं: संदर्भ में एनजीटी के आदेश का उल्लेख किया गया है लेकिन आदेश कब हुए इसकी जानकारी नहीं दी गई है। नोटिस नगर निगम के अधिकारी के नाम और हस्ताक्षर होना चाहिए लेकिन उपयंत्री के हवाले से नोटिस जारी किए गए हैं। जो नियम विरुद्घ है।
 
कलेक्टर के शपथ पत्र में कबूलनामाः 4 मार्च 2015 को कलेक्टर निशांत वरबड़े की ओर से एनजीटी में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसमें कहा गया था कि यह दामखेड़ा प्लानिंग एरिया से बाहर है। वर्ष 1985 में कॉलोनी को परमिशन मिली है साथ ही सभी तरह की एनओसी भी हैं। शपथ पत्र में यह भी कहा गया था कि धारा 172 और मप्र भू-राजस्व 1959 के तहत कॉलोनी निर्माण की परमिशन जारी की गई है। इसके खसरे 1935 के हिसाब से बने हैं।
 
फिर सूची में बताया अवैधः कलेक्टर द्वारा गठित जांच दल ने दिसंबर 2015 में एनजीटी को 77 लोगों की सूची सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि ये सभी भवन नदी के ग्रीन बेल्ट के अंदर आ रहे हैं। इनमें सर्वधर्म ए और बी सेक्टर के 40 भवन मालिकों के नाम थे, इसके अलावा भूमिका, सागर प्रीमियम टॉवर, मंदाकिनी, अल्टीमेट प्लाजा के मकान आ रहे थे।
 
जब प्रशासन ने दस्तावेजों के आधार पर खुद ही परमिशन देने की बात कह चुका है तो सर्वधर्म ए और बी सेक्टर के रहवासियों को नोटिस जारी क्यों किए जा रहे हैं? प्रशासन द्वारा अनुमति दिए जाने वाले पक्ष को एनजीटी में सही तरीके से क्यों नहीं उठाया गया?  हकीकत ये भी है कि वर्ष 2006 में कलियासोत गेट के सभी गेट खुलने के बाद नदी के किनारे कई इमारतों में पानी भर गया था, ऐसे में जानमाल की सुरक्षा को ध्यान में रखकर इनकी शिफ्टिंग या विस्थापन की योजना पर अब तक विचार क्यों नहीं हुआ?
Kolar News 28 August 2016

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