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कोलार निवासी रमेश आर्य की पत्नी शोभा सोमवार को पेट में तेज दर्द होने पर 108 को कॉल किया गया। इमरजेंसी रिस्पांस ऑफिसर ने कॉल अटेंड किया। कुछ देर में एम्बुलेंस भेजने का दावा किया गया। लेकिन 25 मिनट तक एम्बुलेंस नहीं पहुंची तो वे कैब से पत्नी को अस्पताल ले गए। रमेश का कहना है कि 35 मिनट बाद एमपी नगर की एम्बुलेंस उनके घर पहुंची देरी का कारण पूछने पर बताया गया कि कोलार की एम्बुलेंस खराब हो गई है।
हादसे के घायलों और दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजाें को त्वरित इलाज देने चलाई जा रही एंबुलेंस 108 सेवा की सेहत ठीक नहीं है। हबीबगंज और कोलार इलाके की एंबुलेंस ने तो दो सप्ताह पहले ही जवाब दे दिया। खराब खड़ी हैं। इससे दोनों इलाकों के रहवासियों को इमरजेंसी में मिलने वाला इलाज 30 ये 45 मिनट की देरी से मिल रहा है। जबकि एंबुलेंस संचालन एजेंसी के अफसर अगले दो दिन में खराब एंबुलेंस का संचालन शुरू करने का दावा कर रहे हैं।
कुछ दिन की दिक्कत थी, एक-दो दिन में सही हो जाएगी
कोलार सहित कुछ एम्बुलेंस में टेक्निकल दिक्कत थी। कुछ दिनों से कोलार रोड की एम्बुलेंस बंद थी। जो पार्ट खराब हैं, उनके आॅर्डर दे दिए गए हैं। टायर भी आ गए हैं। एक-दो दिन के भीतर गाड़ी ऑनरोड हो जाएगी। मरीजों के लिए आसपास की एम्बुलेंस का सहारा लिया जा रहा है। -सुनील कुमार, सीसीओ, 108 एम्बुलेंस
सेल्फ खराब होने से दिक्कत
धक्का देकर करते हैं स्टार्ट
हबीबगंज की एडवांस लाइफ सपाेर्ट एंबुलेंस का सेल्फ खराब हो गया है। इसे स्टार्ट करने से पहले ईएमटी को थाने से दो लोगों को बुलवाकर धक्का लगवाना पड़ता है। इसके चलते यह एंबुलेंस भी मरीज तक समय पर नहीं पहुंच पाती। वहीं बागसेवनिया एंबुलेंस बीते एक महीने में अस्पताल से थाने के बीच पांच बार पंचर हुई है। इसके टायर खराब हैं। प्रबंधन ने टायर तो खरीद लिए लेकिन इंस्टालेशन नहीं हो सका है।
हबीबगंज और कोलार की हालत
3 दिन में नहीं बदल सके रिम
शहर में 12 बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस का संचालन हो रहा है। इनमें से हबीबगंज और कोलार एंबुलेंस का संचालन बंद है। इसकी वजह हबीबगंज की एंबुलेंस का एक्सीडेंट के बाद खराब होना है। ऐसी ही स्थिति कोलार क्षेत्र की एंबुलेंस की है। एक्सल खराब होने के कारण इसे बंद कर दिया गया है। प्रबंधन ने एक पहिए के खराब रिम को बदलने के लिए स्टाफ को तीन दिन पहले से नया रिम दिया हुआ है, जिसे अब तक नहीं बदला जा सका है।
हर गाड़ी पर महीने में एक लाख रुपए खर्च चार लाख किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर चुकी हैं। एक एम्बुलेंस की लाइफ दो लाख किलोमीटर।
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