बाघों और जानवरों के लिए खतरा बने ड्रोन
कलियासोत-केरवा के जंगलों में नहीं उड़ेगा ड्रोन
मौसम सुहाना होने के बाद अब राजधानी से जुड़े केरवा और कलियासोत क्षेत्र के जंगलों में बाघों की टेराटेरी में सेंध लगाने वालों के खिलाफ वन विभाग सख्त कार्यवाही करने जा रहा है। यहां पर लगातार उड़ान भर रहे ड्रोन बाघ के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। इसे लेकर वन विभाग के आला अधिकारी भी परेशान हैं। लेकिन ड्रोन पर पाबंदी नहीं लग पा रही है। विभाग ने जंगलों में ड्रोन उड़ाने वालों पर कार्यवाही के लिए प्रशासन से भी सहयोग मांगा है। राजधानी में एक दर्जन से ज्यादा लोग महज दो हजार रुपए में किराए पर ड्रोन उपलब्ध करा रहे हैं। इससे बाघों की निजता प्रभावित हो रही है। वन्यप्राणियों की सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग वह ईको टूरिज्म के प्रोजेक्ट पर भी लगाम लगाएगा।
वन विभाग के सूत्र बताते हैं कि ड्रोन की मदद से क्षेत्र में सक्रिय बाघ टी-वन, तेंदुए सहित अन्य जंगली जानवरों पर लगातार नजर रखी जा रही है। वे कहां आराम करते हैं, कहां पानी पीते हैं, शिकार कब करते हैं और कहां से नियमित निकलते हैं। ऐसी तमाम जानकारी ड्रोन उड़ाने वालों के पास मिल जाएगी और इसका भरपूर प्रचार भी हो रहा है। इससे बाघ के मूवमेंट के दौरान कलियासोत क्षेत्र में पर्यटकों की भीड़ लगने लगी है। राजधानी ही नहीं, बाघ को देखने के लिए लोग बाहर से भी आने लगे हैं, जिन्हें अब जंगल में जाने से रोकना मुश्किल हो रहा है। इस भीड़ में कौन शिकारी है, कौन शिकार की नीयत से आया है, पता नहीं किया जा सकता है।
भोपाल के नजदीक बाघों की संख्या में एक बार फिर से बढ़ोतरी के आसार हैं। वन विभाग के गश्ती दल की नजर बाघिन टी-2 द्वारा जन्मी बाघिन टी-13 पर है जो बच्चों को जन्म देने के लिए नया ठिकाना ढूंढ़ रही है। शावक कहीं शिकारियों के हाथ न लग जाएं इसलिए इनकी चौकसी की विशेष व्यवस्था की जा रही है। समरधा में टी-21 चार शावकों के साथ मूवमेंट पर है। इसके अलावा औबेदुल्लागंज के जंगलों में भी एक और बाघिन शावकों के साथ कैमरे में ट्रैप हुई है। इसके बाद समरधा, केरवा और कलियासोत के जंगलों में वन रक्षकों की गश्त तेज कर दी गयी है।