कमिश्नर और मेयर करवा रहे हैं जाँच
भोपाल नगर निगम में आॅनलाइन ठेकेदारी से बचने के लिए छोटी-छोटी फाइलें बनाकर बड़ा खेल किया गया है। दरअसल निगमायुक्त छवि भारद्वाज ने 1 लाख से ज्यादा के कामों के लिए आॅनलाइन टेंडर के आदेश दिए थे। इस दौरान कुछ पार्षदों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया था। दरअसल पार्षद नहीं चाहते कि ऐसा हो, क्योंकि इससे वे अपने चहेतों को ठेके नहीं दिला पाएंगे। जब वार्ड के कामों की प्रारंभिक समीक्षा हुई तो अब पता चल रहा है कि 25 वार्डों में इंजीनियरों, पार्षदों और ठेकेदारों ने मिलकर काम किया है। पूरी रिपोर्ट के बाद बड़ा खुलासा होगा।
एक लाख से कम के हुए कामों की जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट में दो एमआईसी सदस्यों के भी नाम है। इन लोगों ने अपने अपने वार्ड में जो काम कराये थे वह अधिक समय तक नहीं चले और स्थिति वैसी ही बनी रही। इसके अलावा कई बार निगम के वित्त विभाग में भी यह सदस्य ठेकेदारों के भुगतान के लिए दवाब बनाते थे। इन्होंने आॅनलाइन टेंडर से बचने के लिए 40 से 60 हजार तक की छोटी-छोटी फाइलें बनवाई ताकि बगैर टेंडर के काम हो सके।
महापौर आलोक शर्मा एवं नेता प्रतिपक्ष मो. सगीर ने आयुक्त की आॅनलाइन टेंडर संबंधी व्यवस्था का समर्थन किया था। हालांकि कई पार्षद अभी भी इस आॅनलाइन व्यवस्था के विरोध में हैं, लेकिन आयुक्त छवि भारद्वाज इसे चालू रखने का मन बना चुकी हैं। आने वाली परिषद की बैठक में भी इस पर चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि बीजेपी एवं कांग्रेस से जुड़े कई पार्षद चाहते हैं कि आयुक्त की नई व्यवस्था बंद कर दी जाए क्योंकि इससे तुरंत काम कराने में दिक्कत होती है। कांट्रेक्टर कम एसओआर पर काम लेते हैं और करते नहीं है, इससे पब्लिक परेशानी होती है।
नगर निगम आयुक्त को यह शिकायत मिली थी कि पार्षद अपने खास ठेकेदारों के जरिए जमीन पर काम कम और फाइलों पर अधिक करवाते हैं। इसके बाद उसकी पुष्टि करने के बाद बिलों का भुगतान भी करवा देते हैं। इसके बाद यह निर्णय लिया गया था कि एक लाख से अधिक के कामों को आॅनलाइन टेंडरिंग के जरिए किया जाएगा। पहले टेंडरिंग नहीं होती थी ।
वार्ड में विकास राशि कहां जा रही है यह किसी को पता नहीं चलता था। पार्षद ने भी कहां काम करवाया और कब करवाया यह भी स्पष्ट नहीं हो पाता था। पार्षद अपने-अपने कोटे की राशि से टेंडर जारी करवा कर उसका भुगतान भी करवा देते थे और हकीकत में काम नहीं होता था। जबकि चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि ठेके के मामले में पार्षद अपने चहेतों से दूर रहेंगे।
पार्षदों का कहना था कि छोटे-छोटे कामों को अगर आॅनलाइन टेंडरिंग के जरिए किया गया तो काम कुछ नहीं हो पाएगा। कई बार कुछ कामों के लिए आॅन द स्पॉट निर्णय लेना पड़ता है, इसलिए ऐसा नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष मोहम्मद सगीर का कहना था कि अगर ई टेंडरिंग करना है तो निगम के सभी कामों को उसमें लिया जाना चाहिए। इस तरह के स्पीड ब्रेकर डालने से शहर का विकास ही प्रभावित होगा।