अब बनेगा एकदम नया प्लान
भोपाल मास्टर प्लॉन 2031 का मसौदा अंतिम सांसें गिन रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब इसके रद्द होने या यूं कहें कि 80 फीसदी बदलने की तैयारी हो गई है। कारण यह है कि जब इसकी प्लानिंग हुई थी और इसे तैयार किया गया था तब से अब तक क्षेत्रीय स्थितियां और योजनाएं पूरी तरह बदल चुकी हैं।खासकर कोलार ,करोंद और रातीबड़ इलाके को लेकर। मास्टर प्लान में बदलाव के बाद कोलार इलाके के हालात सुधर सकते हैं।
भोपाल का मास्टर प्लॉन बनाने के लिए लिए मार्च 2017 की डेडलाइन तय की गई है। यदि पिछली बार जैसे विवाद नहीं हुए तो सरकार 2017 के अंत तक नया प्लॉन लागू कर देगी। मौजूदा प्लॉन वर्ष 2005 तक के लिए था, लेकिन नया प्लान लागू न होने से अभी यही वजूद में है। जबकि तब से अब तक भोपाल की स्थिति काफी बदल चुकी है।
भोपाल मास्टर प्लॉन के लिए सरकार साल 2007, 2009 और 2012 में तीन बार मसौदे बना चुकी है, लेकिन विधानसभा चुनावों और तालाब के कैचमेंट को खत्म करने वाले विवादों की वजह से इन मसौदों को लागू नहीं किया जा सका है। इन मसौदों पर सरकार के एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च भी हो चुके हैं।
मास्टर प्लान में बदलाव की जरुरत इसलिए भी है एक तो भोपाल का क्षेत्रफल पहले से काफी बढ़ चुका है। इसमें कोलार और आसपास के 20 गांव भी शामिल हो चुके हैं। भोपाल में मेट्रो भी चलनी है, इसके लिए मास्टर प्लान का अपडेट होना बहुत जरूरी है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को भले ही चालू कर दिया गया हो, लेकिन उसके आसपास की जगह को मास्टर प्लॉन-2031 में किस तरह से समायोजित किया जाएगा, यह देखा जाना जरूरी है। तालाबों के कैचमेंट एरिया को खत्म करने वाले विवादों का निपटारा होना जरूरी है।
1995 में बनी थी भोपाल विकास योजना जो 2005 तक के लिए थी। 2006 में शुरू हुई थी इसकी प्रक्रिया। 31 दिसंबर 2005 में मौजूदा प्लान की अवधि समाप्त होने पर 2021 तक के लिए नए प्लान का मसौदा तैयार करने की कवायद शुरू हुई और 2008 में इसका मसौदा तैयार कर लिया गया, लेकिन विधानसभा चुनावों व अन्य कारणों से इसे जारी नहीं किया जा सका। 29 अगस्त 2009 को जारी हुए मसौदे पर आपत्ति के बाद 19 अप्रैल 2010 को मसौदा रद्द किया गया।
13 सितंबर को नया मास्टर प्लान-2031 को तैयार करने के आदेश दिए गए लेकिन मामला अब तक आधार में ही है।