महापौर आलोक शर्मा एमआईसी सदस्यों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रहे हैं ,वे अब अपने मन के मुताबिक एमआईसी बनाना चाहते हैं । अधिकांश महापौर परिषद (एमआईसी) सदस्यों का परफारमेंस ठीक नहीं है। इसी आधार पर इन सदस्यों को बदला जाएगा। कुछ सदस्यों को लेकर शिकायतें हैं, तो किसी ने काम में रुचि नहीं दिखाई। इन सदस्यों की नियुक्ति विधायकों की सिफारिश पर की गई थी।
नगर निगम चुनाव के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं पार्षदों से कहा था कि वह अपने नजदीकियों को ठेके नहीं दिलाएं। ऐसे कोई काम न करें जिससे संगठन की छवि खराब हो। पर ऐसा नहीं हुआ। भोपाल नगर निगम में अधिकांश पार्षदों ने छोटी-छोटी फाइलें बनाकर अपने करीबियों को ही ठेके दिलाए हैं। अब जब इस मामले में कमिश्नर ने नया नियम लागू किया है, तो पार्षद हंगामा मचा रहे हैं। हालांकि इस मामले की जांच की जा रही है। अगर पार्षदों का दोष निकला तो रिपोर्ट संगठन तक जाएगी और अगर अधिकारी-कर्मचारी दोषी हुए तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि पार्षदों के ऐसे कृत्य से न केवल भाजपा संगठन की छवि खराब हो रही है, बल्कि महापौर की साख पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अगले माह बीजेपी का प्रशिक्षण वर्ग है। इसमें पार्षदों को भी बुलाया गया है। पार्षदों से क्या-क्या गलतियां हुई वह आगे न हों इस पर विशेष फोकस रहेगा।
अभी तक जो एमआईसी सदस्य हैं, उनकी नियुक्ति विधायकों की सहमति से हुई थी। इसलिए यह हर मामले को विधायक तक ले जाते हैं और विभाग में रुचि नहीं लेते। अब नए फेरबदल में महापौर अपने हिसाब परफारमेंस देखकर एमआईसी सदस्य बनाएंगे। इसमें उन नए पार्षदों को भी मौका दिया जाएगा, जो गाइडलाइन का पालन करते हुए काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि पार्षदों पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं। कोई गुमठियां में फंसा है, तो कोई लेनदारी में।
नगर निगम में 10 एमआईसी सदस्य हैं। इनमें कृष्णमोहन सोनी, श्रीमती आशा जैन, महेश मकवाना, सुरेन्द्र बाडिका, दिनेश यादव , केवल मिश्रा, मनोज चौबे, मंजुश्री बारकिया , भूरेलाल माली (भूपेन्द्र), शंकर मकोरिया शामिल हैं। इनमें से 8 को लेकर गंभीर शिकायतें हैं। केवल दो ही सदस्य ऐसे हैं, जिन्होंने नियमानुसार काम किया और जिनकी कोई कंपलेेंट महापौर तक नहीं पहुंची है, लेकिन 8 की वजह से महापौर की साख पर भी बट्टा लगा है।