कृषि भूमि का आवासीय डायवर्सन करवाकर किसानों से ५५ लाख रुपए की धोखाधड़ी के मामले में आरोपी बिल्डर सुनील टिबड़ेवाल को अदालत ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है।
कोलार -शहपुरा के बिल्डर सुनील टिबड़ेवाल की जमानत पर गुरूवार को अपर सत्र न्यायाधीश के अतुलकर की अदालत में बहस हुई। वहीं इस मामलेें फरियादी किसानों के वकील और सरकारी वकील ने भी अदालत में आपत्ति पेश की। जमानत पर आपत्ति करते हुए बताया गया कि बिल्डर सुनील ने धोखाधड़ी करते हुए लाखों रुपए ले लिए और उक्त जमीन पर प्लाट काटकर अन्य लोगों को बेच दिए। वहीं जमानत पर आपत्ति पेश करने आए एक वकील ने बताया कि बिल्डर सुनील टिबड़ेवाल के खिलाफ फरियादी प्रकाश वाधवानी की शिकायत पर कोलार पुलिस ने धोखाधड़ी का एक और मामला दर्ज कर लिया गया है उसमें भी गिरफ्तारी होना है।
वकील ने अदालत को यह भी बताया कि सुनील टिबड़ेवाल आदतन अपराधी है और उसके खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में फर्जी दस्तावेज तैयार करने और बैंको से धोखधड़ी करके लोन लेने का मामला चल चुका है। इस मामले में उसकी पत्नी नीतू टिबड़ेवाल भी आरोपी थी।
न्यायाधीश के अतुलकर ने अपने आदेश में लिखा कि केस डायरी में विक्रय अनुबंध पत्र अौर कब्जा नामा की मूल प्रति संलग्न है। केस डायरी से साफ होता है कि बिल्डर सुनील ने कृषि भूमि होने की जानकारी होने के बाद भी तथ्यों को छुपाते हुए अन्य लोगों से अनुबंध किया और धोखाधड़ी करने की मानसिकता के साथ अन्य लोगों से रुपए ले लिए। ऐसी स्थिति में आरोपी सुनील की अग्रिम जमानत नामंजूर की जाती है।
सीहोर के कुराना गांव के किसान मनोहर सिंह, हेमंत और मुरली ने मार्च २०१४ में शाहपुरा निवासी बिल्डर सुनील टिबड़ेवाल से ग्राम पिपलिया बेरखेड़ी में डेढ़ एकड़ जमीन खरीदी थी। इसके लिए तीनों ने ५५ लाख रुपए भी सुनील को दिए थे। २५ नवंबर २०१४ तक तीनों को जमीन की रजिस्ट्री करानी थी। वे एसडीएम दफ्तर पहुंचे तो पता चला कि उक्त जमीन का आवासीय डायवर्सन कर दिया गया है। तीनों किसानों ने इसकी शिकायत पुलिस को की थी।
कोलार पुलिस कुछ दिन पहले ही सुनील टिबड़ेवाल को चेक बाउंस के मामले में गिरफ्तार किया था। अगले दिन उसे अदालत से जमानत मिल गई थी।