अब तक नहीं बनी कलियासोत की रिटेनिंग वॉल
कलियासोत नदी पर सन् 2001 में मिट्टी का बांध सीपेज वाटर को रोकने के लिए बनाया गया था। इस बांध को बनाने का उद्देश्य था कि क्षेत्र में ग्राउंड वाटर लेबल कभी कम ना हो सके और पर्यटन की दृष्टि से एक पिकनिक स्टॉप के रूप में इस बांध को विकसित किया जा सके। वर्ष 2006 में तीन केबिनेट मंत्री बाबूलाल गौर, रामपाल सिंह, नरेन्द्र सिंह तोमर ने सर्वधर्म पुल पर रिटेनिंग वॉल के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया।
इस काम की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सौंपी गई। 10 साल पहले किए गए वादे को आज तक पूरा नहीं किया जा सका है। आपको यह जानकर हैरत होगी कि शिवराज सरकार द्वारा चलाए गए जलाभिषेक योजना के पहले कदम के रूप में की गई घोषणा का यह हाल है।
लोगों का कहना है कि प्रशासन की ढिलाई के चलते यह अब तक नहीं बन सका है। स्टॉप डेम की रिटेनिंग वॉल बनवाने के लिए प्रशासन को गंभीर रुख अपनाना चाहिए। इससे बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा। कोलार क्षेत्र में वैसे भी बंूद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं।
6 साल चले सामूहिक प्रयास में कोई शासकीय सहयोग नहीं था। जनता की इच्छाशक्ति का परिणाम था कि 2006 में इस क्षेत्र में पर्याप्त जल रोक लिया गया। इस कच्चे बांध में 11 फीट ऊंचा पानी का भंडार उपलब्ध था। लेकिन बाद में स्टॉप डेम का काम रुक गया।
यदि योजना के अनुसार समय पर पूरा काम हो जाता तो इसमें 1 किलोमीटर के क्षेत्र में नाव भी चलाई जा सकती। इससे क्षेत्र के सूख चुके बोरवेल भी पुन: जीवित हो जाते। पानी की इतनी कमी नहीं होती।
जल समाधान में सरकार की गंभीर रुचि है। इसे दर्शाते हुए तीन केबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति में आनन-फानन में किए गए भूमिपूजन के बाद इससे उत्साहित होकर बांध के कर्ताधर्ताओं ने विशेषज्ञ व अधिकारिक इंजीनियर द्वारा उक्त कार्य के लिए ड्रांइग और तकनीकी जानकारी भी निर्माण के लिए नियुक्त विभाग को उपलब्ध करवा दी।
शासन व प्रशासन के लापरवाह रवैया के कारण उपनगर ने बहुत बड़ी चीज खोई है। यदि रिटेनिंग वॉल का निर्माण दस साल पहले किया जाता तो आज कुछ और ही नजारा होता। क्षेत्र के ग्रांउड वाटर लेबल बेहतर होगा। साथ ही एक पिकनिक स्पॉट होता।