ग्वालियर। ग्वालियर-चम्बल अंचल में शनिवार की शाम आसमान से आफत के ओले गिरे। पानी के साथ गिरे ओलों से फसल को नुकसान पहुंचा है। फसल को हुए नुकसान के चलते किसानों के चेहरे मुरझा गए। हालांकि जिला मुख्यालय पर ओलों का आकार मटर के दाने के बराबर था, लेकिन जौरा, कैलारस, पहाडग़ढ़, सुमावली क्षेत्र में बड़े आकार के ओले गिरे।
शनिवार शाम 4 बजे के करीब जिले का मौसम बदल गया। यहां बूंदाबांदी के साथ ही ओले गिरने लगे। जिला मुख्यालय सहित अंबाह, पोरसा, जौरा, सुमावली, कैलारस आदि स्थानों पर ओले गिरे। ओलों का आकार कहीं छोटा तो कहीं बड़ा था। ओलों से सबसे अधिक नुकसान खेतों की खड़ी सरसों की फसल को हुआ है। दरअसल जिले में कई स्थानों पर सरसों की फसल कटने के लिए तैयार है। ओले एवं पानी की वजह से सरसों फसल को नुकसान पहुंचा है। ओले एवं पानी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा से उनकी फसल को नुकसान पहुंचा है। उधर रात आठ बजे के बाद दोबारा बूंदाबांदी प्रारंभ हो गई। बरसात व ओले से मौसम में भी ठण्डक घुल गई है।
उधर जौरा सहित आसपास के डेढ़ दर्जन गांव में बारिश के साथ ओले भी गिरे। दोपहर तीन बजे शुरू हुई बारिश व ओले शाम 5.30 बजे तक आधे घंटे के अंतराल में तीन बार गिरे। बेमौसम हुई बारिश व ओलावृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की खेतो मे खडी गेहूं और सरसों की फसल मे दस से बीस फीसदी का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बारिश व ओलावृष्टि से खेतों मे पकी फसल को 5 से 10 फीसदी तक का नुकसान होने की बात कही गई है। बारिश व ओलावृष्टि से जौरा शहर सहित बिशनौरी,हरिभान का पुरा, अलापुर, धमकन, थरा, चिराइतिनी, गैपरा, हथरिया, छैरा, ककरधा, नूरपुर, बडोना, बिरूआ, दुल्हैनी आदि गांवों में नुकसान पहुंचा है।