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निजी निवेश के लिए पीपीपी मॉडल ही सबसे बेस्ट विकल्प अहलूवालिया
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भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार द्वारा उद्योगपतियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन जिनी निवेशक तभी आएगा, जब उसे भरोसा होगा। इसके लिए पीपीपी मॉडल ही सबसे बेस्ट विकल्प है। इसके लिए केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाना चाहिए, ताकि निवेशकों को विश्वास रहे। यह बातें योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने मंगलवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मिंटो हॉल में आयोजित वैकल्पिक प्रबंधन पर केन्द्रित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। 

इससे पहले मुख्यमंत्री कमनलाथ और मोंटेक सिंह अहलूवासिया ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला की शुरुआत में सीएम मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण इलाकों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने से बाजार में पैसा आता है और पैसे का यही बहाव कस्बा और फिर शहरों की आर्थिक गतिविधियां बढ़ाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि यह योजना सिर्फ सडक़ निर्माण से ही जुड़ी नहीं है। ग्रामीण व्यवस्था को गति देने वाली योजना है। इस वजह से सिर्फ सडक़ें नहीं बनीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं और ग्रामीण इलाकों में संपन्नता दिखायी दी। 
 
सीएम ने लोकल इकोनामिक एक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया। प्रदेश में अर्थव्यवस्था को मजबूत देने और आर्थिक गतिविधियों में निरंतरता बनाने के लिए निवेश बढ़ाना होगा। पूरा देश बदल रहा है, हमें भी बदलाव को स्वीकार करना होगा और उसके हिसाब से ही अपनी नीति और कार्यक्रम बनाने होंगे। कर्ज माफी को लेकर उठ रहे सवालों पर का जवाब देते हुए सीएम कमलनाथ ने कहा कि जब हमने यह योजना लागू की थी तब हमारी अर्थशास्त्रियों और बैंकिंग सेक्टर से जुड़े लोगों ने आलोचना की थी। हमारा यह स्पष्ट मत था कि प्रदेश में 70 फीसदी ग्रामीण आबादी है, जो खेती किसानी से जुड़ी हुई है। खेती किसानी से ग्रामीण बाजार जुड़ा हुआ होता है। ग्रामीण बाजार में तभी आर्थिक गतिविधि बढ़ेंगी, जब किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। इसीलिए हमने उनके ऊपर से कर्ज उतारने के लिए यह योजना शुरू की है। इस पर अभी काम जारी है।

कार्यक्रम में योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पीपीपी मॉडल को निवेश के लिए बेस्ट विकल्प बताया। उन्होंने आंध्रप्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर राजनीतिक स्थितियां बदली तो एक निजी एजेंसी ने पैसा लगाकर मेगा सिटी बनाई थी। दूसरी सरकार ने आकर उस फैसले को पलट दिया। ऐसे में निजी निवेशक निवेश करने से पहले कई बार सोचता है। पीपीपी मॉडल का रूप अभी निर्धारित नहीं हुआ है। इसे हर राज्य अपने हिसाब से देखता है और काम करता है। सभी अधिकारियों को यह सोचना होगा कि वह किस आधार पर काम करें, जबकि निजी निवेशक चाहता है कि सरकार उसके लोन की गारंटी ले। ऐसे में पूरी लायबिलिटी सरकार पर आ जाती है। निवेशक को यह भरोसा होगा कि उसका निवेश व्यर्थ नहीं जाएगा तो वह कहीं भी निवेश करने के लिए तैयार हो जाएगा।
Kolar News 18 February 2020

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