भोपाल । बीमारी कैंसर का दर्द वर्तमान समय में किसी से छिपा नहीं है, जिस घर के किसी सदस्य को इससे दो-चार होना पड़ा है, उससे इसका हाल पूछनेभर से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पल-पल मृत्यु से नजदीक ले जानेवाली इस बीमारी का इलाज जितना डॉक्टरों से परामर्श लेने में नहीं, उससे अधिक इससे सावधानी बरतते हुए पूर्व में ही समय-समय पर जांच करा लेने में है। विश्व कैंसर दिवस पर इसी प्रकार की इस बीमारी से लड़ने और जागरुक रहने का अह्वान मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है।
प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सोशल मीडिया में एक फोटो साझा करते हुए लिखा कि विश्व कैंसर दिवस पर, आइए हम कभी भी इसके प्रति आत्मसमर्पण करने या किसी और को इस बीमारी के लिए आत्मसमर्पण करने का वादा न करें। उन्होंने यहां लिखा, आओ देखें आज एक सपना, कैंसर मुक्त हो भारत अपना, बीड़ी सिगरेट को दूर भगाएं, देश को कैंसर से बचाएं। वहीं, इस बीमारी को लेकर पूर्व सीएम शिवराज ट्वीटर पर लिखते हैं कि मेरे प्यारे प्रदेश व देशवासियों, कैंसर को जानलेवा होने से रोकने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और कैंसर परीक्षण कराएं। इसकी रोकथाम के लिए हम सब व्यक्तिगत रुचि लें व प्रयास करें,तो काफी हद तक इससे होने वाली क्षति को कम कर सकते हैं। आइये विश्व कैंसर दिवस पर जागृति के लिए कदम बढ़ाएं।
उल्लेखनीय है कि मौंत का अहसास करवा देने वाली बीमारी कैंसर से मध्य प्रदेश में हर साल तकरीबन 30 हजार लोगों की मौत हो जाती है। मध्य प्रदेश में कैंसर विशेषज्ञों की बहुत कमी है। यहां आंकोलॉजी में सुपर स्पेशलिटी की सीटें सरकारी कॉलेजों में नहीं हैं। साथ ही प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में इस बीमारी से लड़ने के लिए पर्याप्त सुविधाएं आज तक मुहैया नहीं कराई गई हैं । सरकारें आती और जाती रहीं लेकिन यहां के शासकीय अस्पतालों की हालत अब तक अधुनिक नहीं हो पाई है, जहां एक भी ऐसा शासकीय अस्पताल नहीं बन सका है जिसमें कि कैंसर मरीजों को इलाज की अच्छी सुविधा एक ही परिसर में मिल सके। । दूसरी ओर निजी अस्पतालों में इलाज के चक्कर में मरीज का पूरा परिवार यहां तक कि उसके परिवार से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। क्योंकि इन निजि चिकित्सालयों में इलाज कराना इतना महंगा है कि कई बार परिवार अपने परिजन के स्वास्थ्य पर घर की पूरी जमा पूंजी खर्च करने के बाद भी उसे नहीं बचा पाता, आगे इस चक्कर में उसके परिवारिक हालात गरीबों से भी बदतर हो जाते हैं।
दूसरी ओर इस बीमारी से जुड़ी हकीकत यह भी है कि भारत सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाए जाने के बाद भी कैंसर मरीजों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स व अन्य दवाएं बेहद महंगी हैं। कीमोथैरेपी की दवा पैक्लीटैक्सिल-260 का होलसेल मूल्य 2000 रुपए है, जबकि मरीजों को यह दवा खुले बाजार में करीब 12 हजार रुपए में मिलती है।