नरसिंहपुर। एक ओर प्रदेश सरकार लोगों को शुद्ध खाद्य सामग्री खाने की सलाह के साथ दुकानों पर भी शुद्धता के लिये जोर आजमाईश कर रही है। इसके लिए प्रदेशभर में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन नरसिंहपुर के गुड़ उत्पादन पर यह अभियान भी बेअसर साबित हो रहा है। प्रशासन के जिम्मेदार कर्मचारी व उनके सामने व्यापारी किस प्रकार अनदेखी कर रहे हैं, इसका प्रमाण कृषि उपज मंडी में जाकर देखा जा सकता है। व्यापारी गुड़ के ऊपर जूते पहनकर खड़े रहते हैं।
मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर जिला गुड़ उत्पादन के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां बनने वाला गुड़ देश के कई राज्यों मे बेचा जाता है, साथ ही प्रदेश में गन्ना उत्पादन में भी नरसिंहपुर जिला आगे है। सम्पूर्ण जिले मे लगभग 65 प्रतिशत खेती गन्ने की होती है। इधर, प्रशासन द्वारा लोगों के स्वास्थ को ध्यान मे रखते हुये शुद्धता को बरकरार रखने के लिये शुद्ध के लिये युद्ध अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन यह यद्ध भी मात्र दुकानों तक ही सीमित रह गया और वास्तविकता को नजर अंदाज किया जा रहा है। जब प्रशासन द्वारा इतनी गंभीरता बरती जाती है तो इस ओर भी ध्यान देना चाहिये कि कृषि उपज मंडी मे गुड़ की बिक्री के समय व्यापारी व कर्मचारी गुड़ के पारियों पर जूते पहन कर खड़े न हो और शुद्धता बनी रहे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जिले की सभी मंडियों में व्यापारी व मंडी कर्मचारी बोली लगाने के दौरान गुड़ की पारियों पर जूते पहनकर खड़े रहते हैं। इससे शुद्धता पर सवाल खड़ हो रहे हैं।
गुड़ के नाम पर मीठा जहर
गुड़ एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसे थाली में परोसने या अन्य उपयोग के पूर्व धोया नहीं जाता है और सीधे खरीदने के बाद उपयोग कर लिया जाता है, जबकि इस गुड़ मे कितनी मिलावट की जा रही है, इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। जिले में गुड़ बनाने वाली भट्टियों में काम करने के लिये यूपी व बिाहर के लोग आते हैं, जिन्हें गुणवत्ता से कोई लेना देना नहीं रहता। उनका उद्देश्य केवल पैसे कमाना होता है। गुड़ में तरह-तरह के रसायनों का उपयोग कर उसे चमकदार बना दिया जाता है, जो कि लोगों के लिये मीठे जहर से कम नहीं होता।
गुड़ का उपयोग खाने के साथ भगवान को भोग लगाने में भी किया जाता है और प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। कुछ देवी- देवताओ को गुड़ का ही भोग लगाया जाता है, लेकिन इस बात का पता उन व्यक्तियों को नहीं होता कि इस गुड़ पर लोग जूते पहनकर भी चला करते हैं। यदि वास्तविकता का पता चल जाए तो गुड़ का उपयोग खाने के लिये नहीं किया जाएगा। प्रशासन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों और उनका स्वास्थ्य भी बरकरार रहे।
बीते दिनो करेली एसडीएम द्वारा कुछ चिन्हित गुड़ भट्टियों पर कार्रवाई की गई थी, जिसमें अधिक मात्रा में केमिकल का उपयोग किया जाना पाया गया था। इस दौरान एक दुकान पर 500 लीटर से ज्यादा मात्रा में हानिकारक केमिकल पाया गया था और दुकानदार भी वह केमिकल गुड़ भट्टी संचालकों को बेचने के लिये लाया था, लेकिन अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इनका कहना है
नरसिंहपुर के अपर कलेक्टर मनोज ठाकुर से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि गुड़ के ऊपर जूते पहनकर चलने की जानकारी आपके द्वारा मुझे दी गई है। मैं इसकी जांच कराता हूं क्योंकि गुड़ का उपयोग भोग व प्रसाद के रूप मे भी किया जाता है। गुड़ भट्टियों में यदि केमिकल का उपयोग किया जा रहा है तो इसकी भी जांच की जाएगी और ऐसा पाया गया तो विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।