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खुद ही ऑन-ऑफ होगा स्मार्ट स्ट्रीट लाइट सिस्टम
खुद ही ऑन-ऑफ होगा स्मार्ट स्ट्रीट लाइट सिस्टम

कॉलोनी और मोहल्ले में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। शिकायत के बाद भी उन्हें दुरुस्त नहीं किया जाता। दिन में स्ट्रीट लाइटें जलती हैं। जैसी कई शिकायतें आम शहरी को नगर निगम से हैं, लेकिन अब नहीं होंगी। क्योंकि निगम शहर में स्मार्ट स्ट्रीट लाइट सिस्टम की कवायद शुरू कर दी है। जिसमें स्ट्रीट लाइटें खुद जलेंगी खुद बंद होंगी और खराब होने की खबर भी खुद ही देंगी। दरअसल स्मार्ट स्ट्रीट लाइट सिस्टम के तहत लगने वाली स्ट्रीट लाइट ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से लैस होंगी। जिसकी वजह से इन पर कंट्रोल रूम से निगरानी की जा सकेगी। साथ ही एक एसएमएस कोड के जरिए कर्मचारी इन्हें अपने मोबाइल से खोल और बंद कर सकेंगे। उन्हें इसके लिए वार्ड में घूमना नहीं पड़ेगा। इसके अलावा इन स्ट्रीट लाइटों में आॅटोमेटिक टाइमर और डिमर स्विच लगा होगा। टाइमर उसमें सेट वक्त पर स्ट्रीट लाइटों को शुरू और बंद करेगा, जबकि डिमर रोशनी के आधार पर काम करेगा। गौरतलब है कि मौजूदा वक्त में शहर की करीब 35 हजार स्ट्रीट लाइटें जलाने और बंद करने की जिम्मेदारी संबंधित वार्ड के कर्मचारियों की होती है। 100 से ज्यादा कर्मचारी नियमित स्ट्रीट लाइट जलाते और बंद करते हैं, लेकिन अक्सर देखने में आता है कि लाइटें दिन में भी जलती रहती हैं और कभी- कभी रात में स्ट्रीट लाइटें नहीं खुलती हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। शहर की सड़कों को रात में रोशन करने के लिए नगर निगम ने 35 हजार स्ट्रीट लाइट्स सड़कों के किनारे लगाई हैं। सालाना दो करोड़ से ज्यादा बिजली बिल भी जमा किया जाता है। लेकिन सड़कें रात होते ही अंधेरे में डूब जाती हैं। क्योंकि 30 फीसदी स्ट्रीट लाइटें बल्ब फ्यूज और कनेक्शन लूज होने जैसी मामूली खामियों की वजह से नहीं जलतीं। स्ट्रीट लाइट्स को दुरुस्त करने की बात करें, तो निगम अफसर अमले और संसाधनों की कमी का रोना रो देते हैं। जबकि बंद स्ट्रीट लाइट्स की वजह से आम शहरी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मिसरोद से बैरागढ़ और पटेल नगर से त्रिलंगा तक शहर का दायरा फैला हुआ है, जिसमें नगर निगम की करीब 1456 किलो मीटर सड़कें हैं। इनमें से करीब 656 किमी सड़कों पर स्ट्रीट लाइट्स नहीं हैं, जिससे यहां रात में अंधेरा पसरा रहता है और यहां से गुजरने वाले राहगीरों को परेशानी होती है। लेकिन जिन 800 किमी सड़कों पर निगम ने करीब 35 हजार स्ट्रीट लाइटें लगा रखी हैं, उनमें से भी ज्यादातर में अंधेरा पसरा रहता है। क्योंकि ज्यादातर सड़कों पर लगी स्ट्रीट लाइटें लंबे अरसे से बंद हैं। जबकि इनमें मामूली खामियां हैं। किसी का बल्ब फ्यूज है, तो किसी का कनेक्शन लूज है या फिर किसी की ट्यूबलाइट व चोक खराब है।

Other Source 2016/05/08

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