भील जाति से संबंधित सवाल पर एमपी पीएससी के अफसरों पर एट्रोसिटी एक्ट का प्रकरण दर्ज
भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी-पीएससी) द्वारा बीते रविवार को राज्य सेवा एवं वन सेवा की प्रारंभिक परीक्षा-2019 का आयोजन किया गया था। इस परीक्षा में भील जाति को लेकर पांच प्रश्न पूछे गए थे, जिनमें इस जाति को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया था। हालांकि इस मामले में विवाद होने के बाद राज्य सरकार ने इन प्रश्नों को विलोपित करा दिया, लेकिन एक जयस कार्यकर्ता की शिकायत पर इंदौर के अजाक थाने में एमपी-पीएससी के अधिकारियों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।
दरअसल जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) कार्यकर्ता रवि बघेल ने इंदौर के अजाक थाने में एमपी-पीएससी की परीक्षा में पूछे गए भील जाति के सवालों के संबंध में कार्रवाई करने के लिए गत दिवस एक आवेदन दिया था। पुलिस ने आवेदन पर कार्रवाई करते हुए बुधवार की रात ही एमपी-पीएससी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। रवि बघेल की शिकायत पर पुलिस ने अनुसूचित जाति-जनजाति नृशंसता निवारण अधिनियम की धारा 3 (1) द और 3 (1) यू में केस दर्ज किया गया है।
इसके अलावा जयस के राष्ट्रीय संयोजक एवं कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने भील जनजाति के संबंध में दिए गए गद्यांश और उस पर आधारित प्रश्नों से जनजाति के दुष्चरित्रण को लेकर विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा कराने की मांग की है। डॉ. अलावा ने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि परीक्षा में एमपी-पीएससी के अधिकारियों ने भील जनजाति के लोगों के प्रति उपेक्षा व तिरस्कार की मनोवृत्ति को दर्शाया है, जो अलोकतांत्रिक व गैर संवैधानिक है। इससे मप्र सहित देशभर के भील जनजातियों का अपमान, उपेक्षा व तिरस्कार हुआ है। इसका पूरा आदिवासी समाज विरोध करता है। इस गंभीर मुद्दे पर विधानसभा द्वारा बुलाई गई दो दिवसीय विशेष बैठक में चर्चा कराई जाए।